भीतर ढेरों प्रश्न पड़े हैं ,
उनको बाहर आने दो ।
ख़ुद से सुलझे नहीं यदि तो ,
कुछ मुझको सुलझाने दो ।
शायद कोई हल मिल जाए ,
तेरे- मेरे मिलने से ।
इतना बोझ लिए फिरते हो ,
थोड़ा मुझे उठाने दो ।
– *नटवर पारीक*, डीडवाना
भीतर ढेरों प्रश्न पड़े हैं ,
उनको बाहर आने दो ।
ख़ुद से सुलझे नहीं यदि तो ,
कुछ मुझको सुलझाने दो ।
शायद कोई हल मिल जाए ,
तेरे- मेरे मिलने से ।
इतना बोझ लिए फिरते हो ,
थोड़ा मुझे उठाने दो ।
– *नटवर पारीक*, डीडवाना