*अप्राकृतिक खानपान का नतीजा*- *असाध्य रोग

बी एल सामरा “नीलम “
भौतिकता की चकाचौंध में हम कहाँ से कहां आ गए..संतोषी सदा सुखी और पहला सुख निरोगी काया के मूल मंत्र का परित्याग कर एक ऐसी जीवन शैली को अपनाकर न केवल अपना स्वास्थ्य चौपट कर रहे हैं ब्लकि प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं ,इस लाईलाज बीमारियों के शिकार भी बनते जा रहे हैं, भाग दोड भरी जिंदगी में अनुचित खानपान विकृत जीवन शैली और फास्ट फ़ूड को अपना कर घर के सात्विक भोजन से दूर होते जा रहे हैं, वही युवा पीढ़ी चाउमीन, पिज्जा और बर्गर इत्यादि को अपनाकर तनावमुक्ति के लिए नशे के आगोश में समा रही है, इसके चलते पार्टी रैस्टोरेंट के साथ मद्यपान की लत बढती जा रही है एवं नित नई बीमारियों से जन मानस त्रस्त हो रहा है । भौतिक समृद्धि स्वस्थ जीवन की निशानी होने के स्थान पर स्वास्थ्य की बर्बादी का संकेत दे रही है । हाल की घटनाओं पर द्रष्टिपात करने पर समाज की एक खतरनाक तस्वीर दृष्टिगोचर होती है । आइए एक नजर डालते है, तथा कथित सम्पन्न और शिक्षित अभिजात वर्ग के प्रमुख लोगों के रोगों पर तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आती हैं —
ऋषि कपूर-कैंसर
सोनाली बेंद्रे – कैंसर
इरफान खान – कैंसर
मनीषा कोइराला – कैंसर
युवराज सिंह – कैंसर
सैफ अली खान – हृदय घात
रितिक रोशन – ब्रेन क्लोट
अनुराग बासु – खून का कैंसर
मुमताज – ब्रेस्ट कैंसर
शाहरुख खान – 8 सर्जरी
(घुटना, कोहनी, कंधा आदि)
ताहिरा कश्यप (आयुष्मान खुराना की पत्नी) – कैंसर
राकेश रोशन – गले का कैंसर
लीसा राय – कैंसर
राजेश खन्ना – कैंसर,
विनोद खन्ना – कैंसर
नरगिस – कैंसर
फिरोज खान – कैंसर
टोम अल्टर – कैंसर…
ये वो लोग हैं या थे-
जिनके पास पैसे की कोई कमी नहीं है/थी!
खाना हमेशा डाइटीशियन की सलाह से खाते है।
दूधभी ऐसी गाय भैंस का पीते हैं ,
जो AC में रहती है और बिसलेरी का पानी पीती है।
जिम भी जाते है।
रेगुलर शरीर के सारे टेस्ट भी करवाते है , सबके पास अपने हाई क्वालिफाइड डॉक्टर है।
अब सवाल उठता है कि आखिर
अपने शरीर की इतनी देखभाल के बावजूद भी इन्हें इतनी गंभीर बीमारी अचानक कैसे हो गई।
क्योंकि ये प्राक्रतिक चीजों का इस्तेमाल बहुत कम करते है।
या मान लो बिल्कुल भी नहीं करते।
जैसा हमें प्रकृति ने दिया है ,
उसे उसी रूप में ग्रहण करो
वो कभी नुकसान नहीं देगा।
कितनी भी फ्रूटी पी लो ,
वो शरीर को आम के गुण नहीं दे सकती।
अगर हम इस धरती को प्रदूषित ना करते
तो धरती से निकला पानी
बोतल बन्द पानी से लाख गुणा अच्छा था।
आप एक बच्चे को जन्म से ऐसे स्थान पर रखिए ,
जहां एक भी कीटाणु ना हो।
बड़ा होने से बाद उसे सामान्य जगह पर रहने के लिए छोड़ दो,
वो बच्चा एक सामान्य सा ,
बुखार भी नहीं झेल पाएगा!
क्योंकि उसके शरीर का तंत्रिका तंत्र कीटाणुओ से लड़ने के लिए विकसित ही नही हो पाया।
कंपनियों ने लोगो को इतना डरा रखा है,
मानो एक दिन साबुन से नहीं नहाओगे तो तुम्हे कीटाणु घेर लेंगे और शाम तक पक्का मर जाओगे।
समझ नहीं आता हम कहां जी रहे है।
एक दूसरे से हाथ मिलाने के बाद लोग
सेनिटाइजर लगाते हुए देखते हैं हम।
इंसान सोच रहा है- पैसों के दम पर हम जिंदगी जियेंगे।
आपने कभी गौर किया है–
पिज़्ज़ा बर्गर वाले शहर के
लोगों की एक बुखार में ,
धरती घूमने लगती है।
और वहीं दूध दही छाछ के शौकीन
गांव के बुजुर्ग लोगों का वही बुखार बिना दवाई के ठीक हो जाता है।
क्योंकि उनकी डॉक्टर प्रकृति है,
वे पहले से ही सादा खाना खाते आए है।
प्राकृतिक चीजों को अपनाओ!
विज्ञान के द्वारा लैब में तैयार
हर एक वस्तु शरीर के लिए नुकसानदायक है!
पैसे से कभी भी स्वास्थ्य और खुशियां नहीं मिलती।।
इसलिए मेरा सुझाव है,
अपने बच्चों को जरा घर से
बाहर खेलने दिया कीजिए।
उनके शरीर में धूल मिट्टी भी लगने दिया कीजिए।
चोट चपेट भी लगने दिया कीजिए और धूप में पसीने से तरबतर भी होने दिया कीजिए ।
तभी आगे वह प्रकृति की चुनौती से अपने आप को बचा पाएंगे या दूसरे शब्दों में कहें तो लड़ पाएंगे। बच्चे ही क्यों आप भी जरा धूप में पैदल चला कीजिए ताकि
पसीना सिर का पैर तक चूए। जमीन पर बैठ जाया कीजिए, घास पर बैठा कीजिए ,
मिट्टी में बैठा कीजिए, नंगे पांव थोड़ा चल लिया कीजिए ।
ज्यादा स्वस्थ रहेंगे पिज्जा ,बर्गर ,चाऊमीन की जगह पर जरा गुड़ खाया कीजिए,
छाछ पिया कीजिए,
दही खा लिया कीजिए।
हरी सब्जियां खा लिया कीजिए, कुछ कच्ची सब्जियां भी खा लिया कीजिए और थोड़ा पसीना बहाया कीजिए ताकि शरीर के सारे जोड़ खुल सकें
ज्यादा स्वस्थ रहेंगे ।
कुल मिलाकर अपने इम्यून सिस्टम को प्रकृति के अनुरूप मजबूत करने के लिए आपको प्रकृति से बार-बार संपर्क करते रहना पड़ेगा ।
प्राकृतिक चीजें खाइए जो कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकें ।
बैर खाइए, जामुन खाइए, आंवला खाइए, जड़ी बूटियां बहुत से मसाले जो है सीमित मात्रा में उचित समय के अनुसार खाइए।*ध्यान रखें बीमार पड़ने के बाद इलाज में पैसा भी खर्च होता है और शरीर का सत्यानाश भी होता है और कई बार तो शरीर नष्ट भी हो जाता है .।
इसलिए बेहतर है कि बीमार ही मत पड़िए। प्राकृतिक चीजों का उपयोग करें।*
आइए फ़िर से लौट चलें
*प्रकृति की ओर…*
सो ईलाज से एक परहेज
बहेत्तर है ।

प्रस्तुति सौजन्य-
————————
*बी एल सामरा नीलम*
पूर्व शाखा प्रबंधक
भारतीय जीवन बीमा निगम मंडल कार्यालय अजमेर

error: Content is protected !!