रजनीश रोहिल्ला।
कदम दर कदम। उस दिशा की ओर। केवल होना है टकराव। सीधा-सीधा। आमने-सामने। कांग्रेस और भाजपा। गहलोत और मोदी। राज्य और केंद्र। एसओजी और सीबीआई। पायलट खेमे की विधायकी का समापन और गहलोत सरकार की बर्खास्तगी।
बात बड़ी। लगनी भी चाहिए। समय के साथ-साथ ही कदम आगे जाते हैं। मायावती का बयान, कहना कि गहलोत सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए।
कम महत्वपूर्ण नहीं है। दर्द ऐसे ही झलकता है। बीएसपी के 6 विधायक कांग्रेस के हो गए। तब कांग्रेस ने नहंी की- लोकतंत्र हत्या जैसी बात। खुद के 19 लोग क्या गए, लोकतंत्र की हत्या हो गई।
भारत में एक प्राचीन कहावत है। चोर-चोर मौसेरे भाई। यानि सारे चोर आपस में मौसेरे भाई होते हैं।
ऐसा भी नहीं कि मायावती ने किसी की सरकार बनाने और बिगाड़ने में कोई भूमिका नहीं निभाई। लेकिन ये तकलीफ चीज ही ऐसी है, खुद पर आए तो नजर आए।
कहावत एक और भी है, कि किसी पर भरोसा मत करो।
कहावत है जी, कहावत का क्या।
बात चल रही है, राजस्थान के महासंग्राम की। कांग्रेस और बीजेपी के महासंग्राम की। बेहतर है कि संग्राम और महासंग्राम का अर्थ भी साफ होे जाए। संग्राम चलते और खत्म हो जाते हैं। महासंग्राम केवल चलते रहते हैं, खत्म कभी नहीं होते।
गहलोत और सचिन संग्राम के दो नाम। कांग्रेस और भाजपा दोनो महासंग्राम। सवाल – महासंग्राम कब खत्म होगा। जवाब – जब दोनों में से एक खत्म हो जाएगा।
सवाल फिर उठता है कि इसे समझे कैसे। जवाब सीधा सा – दुनिया में कई विचारों के बीच संघर्ष का इतिहास रहा है। यूरोपियन और एशियन। मुगल और हिंदू। वैदिक, इस्लामिक, माक्र्स, लेनिन, हिटलर और ना जाने कौन-कौन से विचार। अंत नहीं होने वाला। संघर्ष मानव पृवति का हिस्सा, चलता रहेगा।
राजस्थान में चल ही रहा है। गहलोत और पायलट आमने-सामने। गहलोत के पीछे कांग्रेस, तो पायलट के पीेछे बीजेपी। दावा नहीं हैं, कांग्रेस का आरोप है। पायलट को बीेजेपी ने बर्गलाया। कांग्रेस के अनुसार, सारे घटनाक्रम के पीछे बीजेपी।
जब बीजेपी गलत तो मतलब, कांग्रेस दूध की धुली। ऐसे ही तो कोई आरोप नहीं लगा सकता। खुद का साफ होना जरूरी। सो गहलोत ने कह दिया- लोकतंत्र का गला घोंट रही है बीजेपी। विधायकों को खरीद कर सरकार गिराने में लगी है।
बात में दम तो है, किसी को भी किसी के एमएलए तोड़ने का अधिकार नही। सवाल उठता है- बीएसपी के टिकट से जीते हुए 6 एमएलए कांग्रेस के बन कैसे गए।
संविधान और लोकतंत्र। हमारी सोच और विरासत । एक ही बात के दो पहलू ना हो। लेकिन, ऐसा भी नहीं, देश में पूर्ण बहुमत से चल रही सरकारे बर्खास्त नहीं हुई हों। वो भी कांग्रेस राज में।
बात रही कारण की। तो राजनीति में कारण इतने बड़े नहीं होते, जितना बड़ा कर्ता होता है। बात जब महासंग्राम की हो, तो जनता प्रमुख विषय नहीं। बल्कि दो के बीच का विचार है।
विचार साफ-साफ। कांग्रेस और भाजपा। व्याख्याओं की जरूरत नही। अगर, विचार बचाने के लिए पायलट खेमे की विधायकी की बर्खास्तगी हो सकती है तो फिर गहलोत सरकार भी बर्खास्त हो सकती है।