औद्योगिक विकास से खुल रहे समृद्धि के नये द्वार

किसी भी देश-प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए औद्योगिक विकास की महत्ता सर्वविदित है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कुशल नेतृत्व में आज राजस्थान औद्योगिक विकास के नित नये आयाम स्थापित कर रहा है। इस दिशा में एकल खिड़की योजना-राजस्थान एन्टरप्राइजेज सिंगल विण्डो एनेबलिंग एण्ड क्लियरेंस अधिनियम-2011 ने प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए एक सुखद वातावरण बनाने में अहम भूमिका अदा की है। इससे राज्य में उद्योगों के लिए निवेश की नई राहें खुली हैं जिसकी उद्योग जगत ने मुक्त कंठ से सराहना की है। राज्य में सितम्बर माह तक लगभग 36 हजार करोड़ रुपये के निवेश को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।
दिल्ली-मुम्बई डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर
राजस्थान के विकास में एक मील के पत्थर के रूप में दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक कॉरीडोर परियोजना यहां विकास की एक नई इबारत लिखने जा रही है। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी दिल्ली-मुम्बई डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर परियोजना के तहत दिल्ली और मुम्बई के बीच डेडीकेटेड रेल फ्रेट कॉरीडोर की स्थापना की जा रही है, जिसकी कुल लम्बाई 1483 किलोमीटर है। यह दादरी, दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से होता हुआ उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात एवं महाराष्ट्र के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट तक जायेगा। यह समर्पित कॉरीडोर उच्च गति कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। फ्रेट कॉरीडोर का अधिकतम 39 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरता है, जिसकी कुल लम्बाई लगभग 578 किमी. है।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की पहल एवं प्रयासों से यह परियोजना राज्य में विकास के परिदृश्य को बदल देगी। परियोजना के लिए वांछित भूमि अवाप्ति का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। परियोजना में रेल मंत्रालय की चयनित कंपनियों द्वारा रेलवे ट्रेक बिछाने का कार्य इसी वर्ष प्रारम्भ किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना का क्रियान्वयन वर्ष 2016 तक होने की संभावना है।
दिल्ली-मुम्बई इण्डस्ट्रीयल कॉरीडोर परियोजना
उच्च गति कनेक्टिविटी औद्योगिक विकास के लिए प्रचुर अवसर प्रदान करती है। इसी उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा दिल्ली-मुम्बई इण्डस्ट्रीयल कॉरीडोर परियोजना (डीएमआईसी) क्रियान्वित की जा रही है। इस परियोजना के अन्तर्गत फ्रेट कॉरीडोर के दोनों तरफ लगभग 150 किमी. के बैंड को इण्डस्ट्रीयल कॉरीडोर के रूप में विकसित किया जायेगा। इससे राजस्थान का उत्तरी भारत के बाजारों एवं उत्पादन क्षेत्रों से भी निर्बाध सम्पर्क स्थापित हो जायेगा। परियोजना में विकास के लिए राज्य में कुल 5 नोड्स चयनित किये गये हैं। इनमें खुशखेड़ा-भिवाड़ी-नीमराना, जयपुर-दौसा, अजमेर-किशनगढ़, राजसमंद-भीलवाड़ा एवं जोधपुर-पाली-मारवाड़ का चयन किया गया है।
खुशखेड़ा-भिवाड़ी-नीमराना इन्वेस्टमेन्ट रीजन
योजना के प्रथम चरण में अलवर में खुशखेड़ा-भिवाड़ी-नीमराना इन्वेस्टमेंट रीजन को विकसित किया जा रहा है। यहां एक नये औद्योगिक शहर का निर्माण प्रस्तावित है जिसमें एक इन्टीग्रेटेड टाउनशिप, एक नॉलेज सिटी परियोजना, बड़ी एयरपोर्ट परियोजना तथा नीमराना एवं भिवाड़ी को जोडऩे के लिए सेंट्रल स्पाइन योजना के रूप में 70 किलोमीटर लम्बी रोड जो कि विकसित क्षेत्र को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 से जोड़ेगी, प्रस्तावित है। इन परियोजनाओं के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के सलाहकारों द्वारा विस्तृत अध्ययन कर विकास योजनाएं एवं मास्टर प्लान तैयार किया गया है।
हाल ही में प्रस्तावित औद्योगिक शहर के ड्राफ्ट मास्टर प्लान की अधिसूचना जारी करने के लिए जनहित से सुझाव एवं टिप्पणी आमंत्रित करने के लिए प्रकाशित की गई है। परियोजना के लिए नियुक्त सलाहकारों द्वारा राजस्थान में प्रस्तावित एयरपोर्ट के विकास हेतु एक उपयुक्त स्थान का चयन अलवर जिले के कोटकासिम के समीप किया गया है। प्रस्तावित परियोजना हवाई अड्डे हेतु डीएमआईसीडीसी लिमिटेड के माध्यम से नागरिक उड्डयन मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय के समक्ष औपचारिक आवेदन प्रस्तुत किया गया। इस परियोजना के लिए रक्षा मंत्रालय से एनओसी प्राप्त भी की जा चुकी है।
परियोजना के लिए भूमि अवाप्ति हेतु राज्य सरकार द्वारा एक राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को रीको में पदस्थापित कर भूमि अवाप्ति का कार्य भी प्रारम्भ किया जा चुका है। जिसके तहत 1506.8 हेक्टेयर भू-अवाप्ति के लिए भूमि अवाप्ति अधिनियम के सेक्शन 4 के तहत नोटिफिकेशन जारी कर सेक्शन 5 के तहत जनसुनवाई की कार्यवाही भी पूरी की जा चुकी है।
जोधपुर-पाली मारवाड़ रोड़
परिेयोजना में राज्य सरकार द्वारा जोधपुर-पाली मारवाड़ रोड को दूसरे नोड के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इस नोड के लिए चयनित अर्लीबर्ड परियोजनाओं में – पाली-मारवाड़ हेतु जल आपूर्ति एवं वेस्ट वाटर प्रबंधन, एक नया हवाई अड्डा, मल्टी मॉडल लॉजिस्टक हब एवं चयनित सड़क परियोजना का निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण के साथ ही जोधपुर को पाली से जोडऩे के लिए एक मास रेपिड ट्रांजिट सिस्टम का चयन किया गया है। इस नोड एवं चयनित परियोजनाओं के लिए डीएमआईसीडीसी लिमिटेड द्वारा मई, 2012 में सलाहकार नियुक्त किये जा चुके हैं जो इस क्षेत्र में प्रस्तावित परियोजनाओं का विस्तृत अध्ययन कर विकास योजनाएं तैयार कर रहे हैं।
इस तरह दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक कॉरीडोर परियोजना साकार रूप लेकर राजस्थान में चहुँमुखी विकास का प्रकाश फैलायेगी। औद्योगिक विकास के साथ ही क्षेत्र के समग्र विकास से रोजगार एवं समृद्घि के नये द्वार खुलेंगे। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने इस परियोजना को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए राज्य स्तर पर उठाये जाने वाले सभी कदमों की गति को तेज किया है ताकि प्रदेश के नागरिक इसका समुचित लाभ उठा कर आर्थिक उन्नति के रास्ते पर तेज कदम बढ़ा सके।
– प्रभात गोस्वामी, जयपुर

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