शिवजी केवल म्रगछाल ही क्यों धारण करते हैं ?

गुरूवार 11 मार्च 2021 को विश्व में जहाँ जहाँ सनातनधर्मी हिन्दू और शिव भक्त निवास करते हैं वहां महाशिवरात्रि का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है | आईये जाने भोले नाथ के बारे में कुछ जानकारीयां
निसंदेह समाज में वो ही व्यक्ति वंदनीय होता हैं जो अपरिग्रही हो जिसके जीवन संसार में शांति स्थापित करने के लिए हो | महावीर स्वामी से हजारों साल पहिले भोलेनाथ ने अपरिग्रही बनने का सन्देश देते हुए खुद के शरीर पर मात्र मृगछाल धारण किया क्योंकि केवल मृगछाल धारण करना अपरिग्रह का ही प्रतीक है | अपरिग्रही वो होता है जो आवश्यकता से अधिक मात्रा मे धनवस्तु का संग्रह नहीं करता है | परिग्रह एक प्रकार का पाप है, क्योंकि किसी वस्तु का परिग्रह करने का अर्थ हुआ कि दूसरों को उस वस्तु से वंचित करना | निसंदेह शिव सर्व समाज के सर्वमान्य देवता हैं | शिवरात्रि व्रत मनाने का अधिकार ब्राह्मण से लेकर चंडाल तक सभी को है| भोले बाबा के लिए सब एक समान हैं | भगवान शिव महायोगी भी कहलाते हैं, उन्होंने योग साधना के द्वारा अपने जीवन को पवित्र किया है, वे असीमित गुणों के अक्षय भंडार हैं |शिवजी के परिवार में जब बिच्छू , बैल और सिंह , मयूर एवं सर्प और चूहा जैसे घोर विरोधी स्वभाव के प्राणी भी प्रेमपूर्वक साथ साथ प्रेमपूर्वक रहते हैं तो क्यों नहीं हम हमारे समाज एवं देश में बिना किसी भेदभाव के गिरे हुओं को , पिछड़े हुओं को , विभिन्न धर्मों के अनुयायीयो को साथ लेकर चल सकते हैं ? शिव भक्तो की मोजुद समय में समाज हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई दलित गरीब अमीर के बीच में झगड़े करवाते है और राग देवश रखते है |

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