आंतरिक शक्ति का प्रभाव

Dinesh Garg
वर्तमान समय में हम सभी कोरोना के संक्रमण से जुझ रहे है और हमें प्रत्येक क्षण यह समझाया जा रहा है कि हमारे रोग से लडऩे की आंतरिक शक्ति इम्यून सिस्टम कमजोर हो रहा है इसलिए समस्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में हमारी आंतरिक शक्ति जिसे हम दूसरे शब्दो में हमारा इम्युन सिस्टम भी कहते है को मजबूती देने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ दिन रात एक किए हुए है। ऐसा नहीं है कि संक्रमण का रोग पहले कभी नहीं आया हो। हर बार यह अपना रूप बदल बदल कर मानव जाति को चुनौती देता आया है। इस बार का स्वरूप अभी हमारे शोधकत्र्ता पूर्ण रूप से समझ नहीं पाए है और हमारी आहार विहार की विलासिता भरी शैली परेशानी का कारण बन रही है। भारतीय वेदशास्त्रो में आंतरिक शक्ति को बढ़ाने के अनेक सूत्र दिए है जिनका पालन कर हम शक्ति का संचारण कर अपने आस पास के वातावरण को और सकारात्मक कर सकते है जिससे हमारे रोग से लडऩे की शक्ति और प्रभावी हो सकती है। तो आखिर इस प्रवाह को कैसे दिशा दी जाएं यह हमें समझना होगा? जबाव हमारे शास्त्रो में व विद्धजनो द्वार बताए गए है। उनमें से प्रथम है शुद्ध भावना,यदि हमने हमारे भीतर सभी के प्रति शुद्ध भावना का संकल्प ले लिया तात्पर्य कि सभी खुश रहे सभी की जीवन रोगमुक्त हो के विचार। मेरे जैसी पीड़ा किसी को ना मिले का विचार आपकी भावना को शुद्ध करता है। द्धितीय है सकारात्मक सोच, भय मुक्त होकर रोग का सामना करने की सोच। जीवन का अंत निश्चित है, लेकिन अज्ञात भविष्य को अभी हो रहा है मानकर चिंतन ना करे। अज्ञात भय से अपने आपको मुक्त करे। शारीरिक पीड़ा आ भी गई है तो भय करने से समाधान नहीं होगा। भय मुक्ति के लिए एक साधारण सा उपाय है कि भय के समय आप अपने बीते अच्छे दिनो को स्मरण प्रारंभ कर दे। परम पिता को कृतज्ञता अर्पित करे कि उसने सभी संकटो से आपकी अब तक रक्षा की है। आपको यह भी स्मरण करना चाहिए कि आपके अपने प्रियजन व मित्र आपसे कितना स्नेह रखते है। यह सोच आपकी आंतरिक शक्ति को मजबूती देगी। तृतीय है प्रार्थना, एक सशक्त माध्यम है परमपिता से जुड़कर दैवीय शक्ति को प्राप्त करने का। इसके लिए समय और बढ़ा ले क्योंकि ब्रह्मांड में अनेको शक्ति की किरणे प्रवाहित हो रही है जो आपकी मजबूती प्रदान करेगी। अंतिम है प्राणायाम, यदि समय समय पर गहरी श्वास लेने का अभ्यास प्रारंभ कर देगे तो हमारे भीतर शुद्ध वायु का प्रवेश होगा जो हमे रोगमुक्त करने में सहायक सिद्ध होगा। प्रांरभिक रूप से इन वर्णित बातो का जीवन में उतार कर हम हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को स्वयं बढ़ाने में समक्ष हो जाएंगे। आइए संकट के समय में हम सभी स्वयं भी आंतरिक शक्ति को बढ़ाने का प्रयास आज से ही प्रारंभ करे। भयमुक्त होकर अपने परिवार व आस पास के वातावरण में सकारात्मकता लाने का प्रयास करे।

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