होम क्वारेन्टाइन का फार्मूला काम नहीं आ रहा तो क्वारेन्टाइन सेन्टर पर करें फोकस

– बिरदीचन्द मालाकार
पिछले कई दिनों से चाहे समाचार पत्र हो या समाचार चैनल, सभी में एक जैसी खबरें ही बहुतायत से चल रही है कि फलां चिकित्सालय में बेड की और आॅक्सीजन की कमी के चलते मरीज मर रहे हैं, सरकार और प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा। इसके अलावा भी प्रशासन, डाॅक्टर और अफसरों को आड़े हाथों लेने वालों की लम्बी फेहरिस्त है किन्तु कोई भी इसके कारणों के प्रति गंभीर नहीं दिखता। जिससे लगता है कि यह संकट का समय नहीं बल्कि उनके लिए अपनी आवाज बुलन्द करने अवसर मात्र आया है। इसलिए इससे पहले कि हालात बद से बदतर हों, सरकार, डाॅक्टर, अफसरों व पुलिस के साथ ही आमजन को भी इसे गंभीरता से लेते हुए प्रभावी कदम उठाने होंगे।
इन सबसे इतर यह मेरा व्यक्तिगत विचार है कि इस संकट की पहली लहर से दूसरी लहर के ज्यादा घातक होने के पीछे प्रशासन व सरकार की भी चूक रही जिसके चलते हालात काबू में होने के बजाय दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। और यदि जल्द इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो मामला और गंभी हो सकता है।
गौरतलब है कि पिछले दौर में किसी भी एक क्षेत्र या परिवार में एक संक्रमित के मिलने पर ही उस क्षेत्र में कफर््यू लगाकर संक्रमित को अलग करना अधिक कारगर था। इसके इतर दूसरी लहर में क्वारेन्टाइन सेन्टर के बजाय होम क्वारेन्टाइन का फार्मूला अपनाया गया है जिसके पीछे अर्थव्यवस्था को भी संभालने का विचार रहा होगा। किन्तु अब तक देखा जा रहा है कि यह फार्मूला संक्रमण की रोकथाम के लिए कारगर साबित नहीं हो रहा है। क्योंकि मध्यमवर्ग को छोड़ दिया जाए तो प्रायः हर घर में एक संक्रमित को परिवार से अलग रखते हुए पुख्ता इलाज की व्यवस्थाएं नहीं हो पाती। बल्कि हजारों परिवार की स्थिति तो यह है कि उनके लिए अलग कमरे तक की व्यवस्था नहीं है। फिर यहंा अलग टाॅयलेट और अन्य सुविधाओं की सोचना भी बैमानी है। ऐसे में संक्रमण रूकने के बजाय बढ़ रहा है तथा एक ही परिवार के अनेक लोगों के संक्रमित हो रहे हैं। जिसका नतीजा सामने है कि अस्पतालों में आॅक्सीजन और बेड की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
इसलिए सूबे के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, अजमेर जिला कलेक्टर राजपुरोहित जी और किशनगढ़ के एसडीएम सिसोदिया जी से करबद्ध निवेदन है कि शीघ्र ही होम क्वारेन्टाइन के फार्मूले को बदलते हुए सरकारी स्तर पर क्वारेन्टाइन सेंटर स्थापित कर घरों में केद संक्रमितों को यहां रखने की व्यवस्था करें ताकि परिवार के अन्य लोगों को इससे बचाया जा सके। इससे आॅक्सीजन की कालाबाजारी व बेड की कमी की समस्या को भी काबू में किया जा सकता है। साथ ही इन क्वारेन्टाइन सेंटरों में स्वयंसेवी संस्थाओं, योग गुरूओं, मोटिवेशनल एक्सपर्ट्स की सहायता से संक्रमितों की हौंसला अफजाई के माध्यम से रोज होने वाली मौंतों के आंकड़ों को भी कम किया जा सकता है। क्योंकि जैसे विडियो सामने आ रहे हैं उससे लगता है कि लोग कोविड के संक्रमण के साथ-साथ डिप्रेशन के कारण भी अपनी जान गंवा रहे हैं। इसमें भामाशाहों का भी सहयोग लिया जा सकता है।
साथ ही इस संकट से सबसे ज्यादा लोहा ले रहे डाॅक्टरों, जिला कलेक्टरों व उपखण्ड अधिकारियों व पुलिस के अफसरों से भी निवेदन है कि आप इस समय किसी भी अनावश्यक दबाव में आए बिना अपने पूरे जज्बे के साथ सिर्फ लोगों की जान बचाने के लिए लगे रहें। इसके लिए आप स्वयं के स्तर पर निर्णय लें तथा किसी भी राजनीतिक प्रभाव या दबाव में न रहें। क्योंकि आने वाली पीढ़िया और इतिहास इसको लेकर भविष्य में आपसे ही सवाल करेगा न कि किसी राजनेता से ! यहां यह भी सत्य है कि इस संकट से आप प्रतिदिन दो-दो हाथ कर रहें हैं इसलिए आप इसके लिए प्रभावी इंतजाम भी आप ही सोच सकते हैं न कि कोई और।
आइये हम सब भी आम आदमी होने के नाते इस संकट में अपने घरों में रहकर जो बचे हैं उनको संभालने के लिए सरकार व प्रशासन की सहायता करें। और ईश्वर से इस संकट के जल्दी निकलने की प्रार्थना करें। क्योंकि अभी सबसे अधिक जनता को ही संबल की जरूरत है ताकि जो इसकी रोकथाम में लगे हुए हैं उनको सुकुन से काम करने का मौका मिल सके।
तब तक घर में रहें, सुरक्षित रहें और बेवजह घर से बाहर नहीं निकलें।
संपादक: अजितंजय समाचार मित्र (पाक्षिक)
अध्यक्ष: मार्बल सिटी प्रेस क्लब
मो.नं.: 9214797344

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