आशा ही जीवन

Dinesh Garg
जीवन में आशा ही होती है जो जीने का मार्ग दिखलाती है। यदि हम आशा से भरे रहे होगे तो हमारी सारी तकलीफे हम बहुत कुछ अपने स्तर पर ही हल कर सकते है। इस संदर्भ में एक प्रंसग सारगर्भित है वह ऐसा है कि एक राजा ने दो लोगों को मौत की सजा सुनाई। उसमें से एक यह जानता था कि राजा को अपने घोड़े से बहुत ज्यादा प्यार है। उसने राजा से कहा कि यदि मेरी जान बख्श दी जाए तो मैं एक साल में आपके घोड़े को उडऩा सीखा दूँगा। यह सुनकर राजा खुश हो गया कि वह दुनिया के इकलौते उडऩे वाले घोड़े की सवारी कर सकता है। राजा उसकी सजा कम करने के लिए तैयार हो गया है। यह देखकर दूसरे कैदी ने अपने मित्र की ओर अविश्वास की नजर से देखा और बोला तुम जानते हो कि कोई भी घोड़ा उड़ नहीं सकता! तुमने इस तरह पागलपन की बात सोची भी कैसे ? कहीं ऐसा तो नहीं है कि ऐसा कर तुम अपनी मौत को एक साल के लिए टालना चाहते हो। पहला कैदी बोला, ऐसी बात नहीं है। मैंने दरअसल खुद को स्वतंत्र होने के चार मौके दिए हैं। पहली बात राजा एक साल के भीतर मर सकता है! दूसरी बात मैं मर सकता हूं! तीसरी बात घोड़ा मर सकता है! और चौथी बात हो सकता है,मैं घोड़े को उडऩा सीखा दूं और बच जाऊं। प्रसंग का तात्पर्य यह है कि हमे भी उस कैदी के समान बुरी से बुरी परिस्थितियों में भी आशा नहीं छोडऩी चाहिए। रिकवरी रेट बढ़ रहा हैं, पॉजीटिवीटी रेट घट रहा हैं, इलाज के लिए बिस्तर बढ़ रहे हैं, आक्सिजन की व्यवस्था भी की जा रही है,वैक्सीन आ गई है! रेल एक्सप्रेस, वायुयान दौड़ रहे है,आयुर्वेद और योग शक्ति दे रहा हैं,धैर्य रखें हम जीत रहें हैं। आत्मविश्वास बनाए रखना है और सकारात्मक रहना है। सब तरफ से कुछ अच्छा होने वाला है। वृक्ष कभी इस बात पर व्यथित नहीं होता कि उसने कितने पुष्प खो दिए! वह सदैव नए फूलों के सृजन में व्यस्त रहता है। शर्त केवल यह है कि उसकी जड़ो में पानी पहुँचता रहे।
् आज जिस भीषण महामारी का हम सामना कर रहे है उसमें लाखो जीवन रूपी फूल टूट कर गिर चुके हैं, कुछ मुरझा कर गिरने की कगार पर हैं,कुछ अभी भी लड़ रहे हैं और शेष पुष्पों को हौसला दे रहे हैं; कारण वही है; जहां सुरक्षा,स्वास्थ्य,सहयोग और सावधानी का पानी मिला वहां जीवन रूपी वृक्ष के फूल बच गए हैं। जीवन एक निरंतर यात्रा है। इसमें कितना कुछ खो गया, इस पीड़ा को भूल कर, क्या नया कर सकते हैं, इसी में जीवन की सार्थकता है ! अभी समर शेष है…थकना नहीं रुकना नहीं.. घर में रहेंगे… सबसे कहेंगे..हम जीतेंगे..हम जीतेंगे। यही आशा ही हमें आज जीने का माध्यम बनेगी। बेहतर होगा पूर्ण सतगता के साथ अपना मनोबल गिरने ना दे और अपने साथी के गिरते मनोबल

DINESH K.GARG
( Positivity Envoyer)
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