प्रेरक प्रसंग

Dinesh Garg
पिछले दिनो एक प्रंसग पढऩे को मिला जो आज के समय में भयमुक्त होने से संदर्भ का मुझे प्रतीत हुआ जिसे मैं आपको प्रेषित कर रहा हूं क्योंकि वर्तमान संकट के समय में प्रभु के प्रति आस्था और विश्वास ही एक सशक्त माध्यम है जिससे हम इस संक्रमण से लड़ सकते है। परमशक्ति ही हमारे भय को दूर करने मे सहायक सिद्ध होती है। प्रसंग कुछ ऐसा था कि प्रतिवर्ष हमारे माता पिता हमें गर्मी की छुट्टियों में दादा दादी जो अलग शहर में रहते थे ले जाते थे। उस समय में छोटा था, समय बीतता गया मैं थोड़ा और अधिक उम्र का हो गया तो मैंने अपने पिताजी को कहा कि अब मैं अकेला भी दादा के घर जा सकता हूं तो आप मुझे अकेले को दादा के घर जाने दो। माता पिता पहले तो हिचकिचाएं फिर राजी हो गए। उन्होंने मुझे सारी सावधानी समझाते हुए अनुमति दे दी और ठीक समय पर मुझे जाने वाली ट्रेन में बैठा दिया। आखिर तो वो सावधानियां समझाते रहे, ओर जाते जाते मुझे एक लिफाफा मेरे हाथ में दे गए और कहा कि बेटा अगर रास्ते में तुझे डर लगे तो यह लिफाफा खोल कर इसमें जो लिखा उसको पढ़ लेना। मैने वह पत्र मेरी जेब में रख लिया। ट्रेन चल पडी, शुरू में मैं बाहर की हरियाली देखता रहा, स्टेशन आते रहे जाते रहे, अनेक लोग नए भी दिखते रहे। कुछ देर बाद मुझे अकेलापन लगने लगा। अचानक ही मेरे सामने एक भयावह चेहरे वाला व्यक्ति आया और बैठ गया मैं उसे देखकर डर गया चूंकि मैं पहले बार ही अकेले यात्रा कर रहा था तो घबरा गया मुझे माता पिता की याद आने लगी तभी मुझे पिता की चि_ी याद आई। मैंने जेब से उसे निकाला कि आखिर पिताजी ने क्या लिखा होगा, डर के मारे मेरे हाथ कांप रहे थे। फिर भी मैंने हिम्मत जुटाकर लिफाफा खोला और पढऩे लगा उसमें लिखा था तू डर मत मैं पास वाले कंपार्टमेंट में ही इसी गाड़ी में बैठा हूं । पत्र पढ़ते ही मेरा सारा भय दूर हो गया। मेरे चेहरे पर एक आत्मविश्वास की चमक आई कि मेरे साथ मेरे पिता भी बैंठे है। इस प्रसंग का यही सबसे मार्मिक भाव था।
मित्रों हमारा जीवन भी ऐसा ही है । जब भगवान ने हमको इस दुनिया में भेजा उस समय उन्होंने हमको भी एक पत्र दिया है ,जिसमें लिखा है, उदास मत होना ,मैं हर पल, हर क्षण ,हर जगह तुम्हारे साथ हूं । पूरी यात्रा तुम्हारे साथ करता हूं । केवल तुम मुझे स्मरण रखते रहो। सच्चे मन से याद करना, मैं एक पल में आ जाऊंगा। इसलिए चिंता नहीं करना। घबराना नहीं । हताश नहीं होना । चिंता करने से मानसिक और शारीरिक दोनों स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं । अपने इष्ट पर हर क्षण विश्वास रखें कि वह हमेशा हमारे साथ हैं । हमारी पूरी यात्रा के दौरान.. अन्तिम श्वास तक। आइए सभी अपने विश्वास को और अधिक प्रकाट्य बनाए और जीत ले इस जंग को।

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