हरिद्वार से हरी पीड़ा : दिवंगत भी खुश, जिंदा भी राजी : लौट आए हम

*सुशील चौहान*
भीलवाड़ा। नगर परिषद के सभापति ने कोरोना काल में हुए दिवंगत लोगों की आत्मा की शांति के लिए उनकी अस्थियां हरिद्वार ले जाकर विसर्जित करने का पुण्य ओर ऐतिहासिक कार्य किया है। सभापति पाठक के इस अनुकरणीय काज की हर जगह प्रशंसा हो रही है लेकिन साथ ही *एक सवाल* भी खड़ा किया जा रहा है कि यात्रा में गए यात्रियों (पार्षदों) से क्या वार्ता की जा रही है और आने वाला समय इसका क्या परिणाम देगा। गौर करने वाली बात यह है कि यात्रियों में शुद्ध भाजपाई भी तो भाजपा के दम पर जीते और अब अपनों पे अंगुली उठाने वाले पार्षद भी थे और विपक्ष के पार्षद भी थे।

सुशील चौहान
सत्त्ता के इस खेल को सभी समझ रहे है। *कठपुतली* के इस खेल में कठपुतली किसके हाथों नाच रही है। अंदर के लोग भली भांति जानते है। अब सभापति को तो पांच साल का राज चलाना ही हैं। सो राजनीति के सभी वाजिब *हथकंडे* आजमाए जाएंगे। प्रयास भी किए जाएंगे। *नाराज़* को मनाने की कोशिश होगी तो नहीं मानने पर दूसरा इलाज भी ढूंढा जाएगा। इसमें वो भी पार्षद शामिल हैं जिसने गत दिनों परिषद के बाहर अवैध निर्माण व अवैध काम्प्लेक्स के खिलाफ आवाज बुंलद की और परिषद प्रशासन की हठधर्मिता के खिलाफ पार्टी से त्याग पत्र भी दे दिया।
इस पार्षद ने कहा कि पुण्य के काम के लिए मैं हरिद्वार गया। सभी लोग अपने अपने खर्चे पर इस काम के लिए आगे आए,लेकिन अन्याय के खिलाफ वो अपनी आवाज को दबने नहीं देंगे।
ख़ैर पूरी उम्मीद से यात्रा कार्यक्रम बना है। और सम्भव है कि अब वापसी के बाद न कोई नाराज़ होगा। न कोई अपना बागी।
*98293-03218*
– *स्वतंत्र पत्रकार*
– *पूर्व उप सम्पादक, राजस्थान पत्रिका, भीलवाड़ा*
– *वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रेस क्लब,भीलवाड़ा*
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