हंसते और खिलखिलाते चेहरे जहाँ एक तरफ सामाजिक सम्बन्धों को मजबूत बनाते हैं वहीं उनके चेहरे मानसिक रूप अधिक स्वस्थ भी दिखाई देते हैं | याद रक्खें कि मुस्कान का आदान-प्रदान ही जीवन की मुस्कान का राज है | प्रात:कल उठ कर सबसे पहले एक मिनट तक प्रसन्न मन से जी भर कर मुस्कराएं | जो मुस्कान में जीता है और अपने मन से दूसरों को मुस्कान बांटता है उसका जीवन सही अर्थ के अंदर खुशहाल ही है | यह भी कुछ सीमा तक सही है कि आज के तथाकथित सभ्य समाज में अकारण हँसने वालों को मूर्ख अथवा पागल समझा जाता है। सामाजिक मर्यादाओं के प्रतिकूल होने से बिना बात हँसने से लज्जा आती है।