महर्षि जमदग्नि आध्यात्मिक उपलब्धियों के स्वामी थे जिन्हें आग पर नियंत्रण पाने व उनकी पत्नी रेणुका को पानी पर नियंत्रण पाने का वरदान था | पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि ने पुत्र प्राप्ति हेतु देवराज इन्द्र को प्रसन्न करने के लिये पुत्रेष्टि यज्ञ किया था | देवराज इन्द्र के वरदान के फलस्वरूप महर्षि जमदग्नि की पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्यप्रदेश ग्राम मानपुर ( इंदौर जिला ) में एक अद्भुत प्रतिभाशाली पुत्र का जन्म हुआ जो कालांतर में भगवान परशुराम के नाम से विख्यात हुए | भगवान परशुराम को अमर रहने का वरदान मिला था और यह भी कहा जाता है कि वे आज भी हमारे बीच मौजूद हैं तथा कलियुग के अंत में वे विष्णु के दसवें अवतार के रूप में जन्म लेंगे |
परशुराम गायत्री मंत्र का विधि पूर्वक जाप करने से मनुष्य को अपने दुखों से छुटकारा मिलता है और कठिनाइयों से लड़ने के लिए साहस का संचार होता है | मंत्र इस प्रकार है ‘ॐब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।’ ‘ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात्।।’ ‘ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।’