दोस्त बड़े-ही अजीब है हमारे जीवन के यह-रास्ते,
कोई है कहा-से कोई कहा से पर अपनें बन जाते।
दिल के सारे दुःख गम हम अपनें दोस्त को बताते,
लेकिन बिछुड़ने का ग़म हम सभी को देकर जाते।।
हर कौशिश में हमको यह सफलताएं नही मिलती,
लेकिन हर सफलताओ के पीछे ये कौशिशे होती।
इस ज़िन्दगी का व्याकरण हमे यह नौकरी बताती,
प्रेम दूसरों के लिए और करुणा सबके लिए होती।।
मेरा-देश मेरा-गांव मेरा-शहर हमेंशा याद आता है,
हर-क्षण हर-घड़ी घर-परिवार की याद दिलाता है।
वीरों की गाथाएं-पढ़कर हमको जोश आ जाता है,
नि:स्वार्थ कर्म करते रहे यह दिल कहता-रहता है।।
छल-कपट जाल-झूठ लूट-कसोट से रहते हम दूर,
ऐसी मोहब्बत वतन से है जान भी दे देते है ज़रुर।
चाहे दुखो का डेरा हो अथवा चारों और अंधेरा हो,
अहंकार दुश्मन का तोड़कर कर देते हम चूर-चूर।।
सीमा के प्रहरी जो ठहरे विपदाओं से नही घबराते,
जीवन कष्टमय ही रहें हमारा फिर भी हंसते रहते।
हमने ली है शपथ धरती मां को सुरक्षित रखने की,
मर्यादा में रहकर अपनी अमूल्य सेवाएं देते रहते।।
रचनाकार ✍️
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
ganapatlaludai77@gmail.com