*कविता -पहचान*

रासबिहारी गौड
वे पीढ़ियों की पहचान समेटे
अपना पैतृक मकान बेचकर
नए फ़्लैट में रहने लगे हैं

घर को फ़्लैट का नाम देकर
पहचान के नाम पर
नेम प्लेट के नीचे
कुत्ते से सावधान
लिखा हुआ है

ऊपर बालकनी से
नीचे झाँकते हुए
रेंगते चेहरों में
कुछ खोजते हैं
जबकि हर चेहरा
उनका अपना चेहरा है

*रास बिहारी गौड़*

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