रेल बजट : ऊंट के मुंह में जीरा

हनु तंवर "निःशब्द"
हनु तंवर “निःशब्द”

राजस्थान को इस बार रेल बजट में जो कुछ मिला वोह उतना ही था जितना ऊंट के मुंह में जीरा । राजस्थान में चुनावी वर्ष, रेल मंत्री के पडोसी राज्य के होने और प्रदेश और केंद्र में कांग्रेस की सरकार जैसे कई ऐसे कारन है जिस कारन से जिनसे लोगों को इस बार रेल बजट से काफी आशाएं थी । लेकिन सही कहा जाता है ढाक के तीन ही पात । क्या फायदा ऐसी आशाओं आकांक्षाओं और महत्वकांक्षाओं जो झूटी हों या जिनके पुरे होने के आसार ही न हों । केंद्र में चाहे कोई भी पार्टी सत्ता रही हो वो चाहे देश पर 50 तक राज करने वाली कांग्रेस की सरकार रही हो या कोई गठबंधन सरकार लेकिन राजस्थान के हिस्से में हर बार निराशा ही आई है । आखिर क्या वजह है की हर बार राजस्थान के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है देश भर में जहाँ रेलवे के विद्युतीकरण और आधुनिकीकरण की बात की जाती है वहीँ राजस्थान अभी मीटरगेज से भी पूरी तरह बहार नहीं निकल पाया है । वोह तो भला हो उस अंग्रेजी हुकूमत का जिसकी बदोलत आज राजस्थान में रेलवे लाइन तो है । बल्कि हालात तो यह है की आजादी के पूर्व राजस्थान के कई हिस्सों में रेलवे लाइन थी जो आज बंद कर दी गई है । उदहारण के लिए हम टोंक जिले को ही ले लेते हैं जहाँ टोंक जिला आजादी के 65 वर्ष बाद भी आज तक यहाँ रेल लाइन ही नहीं है जबकि टोंक राजस्थान के प्रमुख जिला मुख्यालयों में से एक है टोंक के नवाब इस रेलवे लाइन के लिए भरसक प्रयास किये थे यहाँ तक की उन्होंने अपने समय में सरकार के कोष में मोती रकम भी जमा करवाई थी लेकिन नतीजा आज भी सिफर आज कई दशकों से आंदोलनरत टोंक की जनता को आज भी कुछ नहीं मिला। शर्म की बात है उन राजनेताओं के लिए या ऐसी सरकारों के लिए जो इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं । केंद्र और राज्य दोनों ही जगह कांग्रेस सत्ता में है कड़ी से कड़ी जोड़कर विकास का वादा करने वाले कांग्रेस के वे नेता आज कहाँ है जब राजस्थान की हर बार  उपेक्षा की जाती है । चाहे वोह रेलवे लाइन की बात हो या रिफाइनरी की बात हो पूर्व भाजपा सरकार के समय से रिफैनरी आज तक अटकी पड़ी है जबकि कई ऐसे राज्यों में केंद्र सरकार ने लगवा दी जहाँ कोई तेल उत्पादन नहीं होता लेकिन भारत के कुल तेल उत्पादन का 40 प्रतिशत तेल की क्षमता रखने वाले राजस्थान में आज तक रिफ़ाइनरि का कहीं अता पता नहीं है । यह ऐसे मुद्दे है जो सोचने को मजबूर करते हैं की आखिर राजस्थान के साथ ही यह सौतेला व्यवहार  क्यों।
-हनु तंवर “निःशब्द”, पत्रकार

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