पहले लालू व शरद, अब शिंदे ने तोड़ा कानून

विजय सिंह
विजय सिंह

राजनेताओं द्वारा रेप पीडिताओं के नाम उजागर का मानो सिलसिला चल पड़ा है। कभी लालू प्रसाद यादव तो कभी शरद यादव और अब देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मर्यादा लांघी है। दिल्ली गैंगरेप केस मामले में लालू व शरद ने जनता के बीच सार्जनिक मंच पर सीमित लोगों के बीच रेप पीडिता का नाम उजागर किया। लेकिन शिंदे ने तो हदें पार करते हुए राज्यसभा में रेप पीडिताओं का नाम लिया,उसे सदन में देश के सभी मौजूद सांसदों ने सुना। यानी समूचे देश ने सुना। दुखद बात तो यह है कि भंडारा बलात्कार कांड पर शिंदे जब अपना बयान दे रहे थे तो बलात्कार के बाद मारी गईं तीनों नाबालिग बहनों के नाम उनकी जुबां पर यूं आए जैसे वे राजनीतिक भाषण दे रहे हों। शर्मनाक बात यह है कि तब किसी भी सदस्य ने कोई आपत्ति नहीं की। भाजपा नेता प्रख्यात वकील एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने भी तत्काल टोकना उचित नहीं समझा। जब शिंदे बोल चुके तो उन्होंने बाद में जेटली ने शिंदे के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि बलात्कार पीडिता का नाम लेना गैर कानूनी है। इसलिए पीडिता की पहचान उजागर नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि शिंदे ने अपने बयान में पीडिता का नाम ले लिया है, इसलिए उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए। यानी गृहमंत्री तो गलती कर ही बैठे पर उन्हें तत्काल न टोकने वाले भी उतने ही दोषी है। एक तरफ तो देश के राजनेता महिलाओं के सम्मान और उनकी रक्षा कदम भरते नहीं अघाते वहीं दूसरी तरफ रेप पीडिताओं के नाम उजागर कर कानून को भी ठेंगा दिखा रहे हैं। गुस्से में भी आम आदमी सार्वनिक रूप से कोई अभद्र प्रतिक्रिया दे दे तो पुलिस और कानून उसे पकड़ में आने के बाद छोड़ने वाला नहीं होता,लेकिन इन नेताओं का क्या होगा। क्या ये इसी तरह कानून का माखौल उड़ाते रहेंगे। क्या महिलाओं की भावनाओं को यूं ही ठेस पहुंचाने का सिलसिला चलता रहेगा। थोड़ी भी शर्म बची होगी तो दिल्ली के सरकारी स्कूल में दूसरी कक्षा की उस मासूम छात्रा का नाम जुबां पर नहीं लाएंगे जिसके साथ शनिवार को ही रेप जैसा वीभत्स कृत्य हुआ है।

error: Content is protected !!