कमी पाकिस्तानी फौज में भी नहीं है

शिव शंकर गोयल
शिव शंकर गोयल

आप यह न समझ लें कि उधर की फौज में कम विद्वान हैं। ना, बिलकुल नहीं, ज्यादा ही हैं। ऐसा सोचने का पुख्ता कारण भी है। सारी बात का खुलासा यूं है-
एक बार भारत-पाक सीमा पर कुछ गधे चर रहे थे। उनमें से एक गधा सीमा पार कर पाकिस्तान चला गया। वहां यमराज की कक्षाओं में रिफ्रेशर कोर्स पास किए हुए कुछ पाकिस्तानी रेंजरों ने उसे पकड़ लिया। पहले तो खूब मारा, खूब यातनाएं दीं, लेकिन फिर भी कुछ नतीजा नहीं निकला तो उन्होंने अपने मुख्यालय खबर की कि एक गधे ने उधर से घुसपैठ की है, उसका क्या किया जाय? मुख्यालय से जवाब आया बताया कि कहीं वह भारत की खुफिया एजेन्सी रॉ का बंदा ना हो? क्योंकि हम पहले भी ऐसे कइयों को पकड़ कर अपनी लखपत जेल में सड़ा रहे हैं। कोई कुछ बताता ही नहीं। काफी मशक्कत के बाद भी जब कुछ हासिल नहीं हुआ तो उन्होंने हुकूमत के आदेश से गधे को भी उसी जेल में डाल दिया और इधर रेंजरों को आदेश दिया कि गोलाबारी की आड़ में 101 पाकिस्तानी गधों को भारत की सीमा में धकेल दो। गधे बेचारे रेंकते रहे, परन्तु उन्होंने उनकी एक न सुनी। मीडिया में बडा हल्ला मचा परन्तु उन्होंने साफ मना कर दिया कि हमने गधे भेजे ही नहीं, भारत ने ही अपने घुसपैठियों को इधर भेजा था, हमनें उन्हें वापस खदेड़ दिया।
बात आई-गई हो जाती लेकिन कुछ दिनों पूर्व फिर एक घटना हो गई। अमृतसर-लाहौर के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में किसी कर्मचारी की लापरवाही से, एक कुत्ता बिना पासपोर्ट-वीसा के लाहौर पहुंच गया। उसके लाहौर पहुंचते ही शोर मच गया। खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए। पहले तो कुत्ते को थाने में ले जा कर खूब मारपीट की गई, जो बताते हैं कि अंतिम खबर मिलने तक जारी है, साथ ही साथ वहां के अधिकारियों ने तत्पर कार्यवाही करते हुए पचास कुत्तों की पहली किश्त उसी एक्सप्रेस से भारत भिजवा दी। इस बात से यह स्पष्ट हुआ कि पाकिस्तान यह संदेश देना चाहता है कि तुम एक कुत्ता भेजोगे तो हम पचास कुत्ते भेजेंगे। यह पता नहीं कि यह बात उन्होंने फिल्म शोले देख कर की है, जिसमें धर्मेन्द्र कहता है कि तुम एक मारोगे तो हम दस मारेंगे या और कोई बात है? उनका यह भी कहना है कि यह तो पहली किश्त है। कुत्तों की ऐसी कई किश्तें अभी भेजी जानी हैं क्योंकि हमारे यहां उनकी कोई कमी नही है।
यहां कुछ लोग इन घटनाओं को एक प्राचीन कथा से भी जोड़ कर देखते हैं। उसके अनुसार मेघदूत एवं अन्य साहित्यिक कृतियों के रचियता कालीदास शुरू में ठेठ अनपढ़ गंवार थे। उनके प्रांत की विदुषी राजकुमारी विद्योत्तमा को जब पंडित लोग चर्चा में हरा नहीं पाए तो उससे बदला लेने वह किसी अनपढ़ गंवार को ढूंढऩे जंगल की तरफ निकले। थोड़ी दूर पर कालीदास एक पेड़ की जिस डाल पर बैठे थे, उसे ही काट रहे थे। पंडित लोग बदला लेने हेतु उन्हें ही राजमहल ले गए और बताया कि यह विद्वान राजकुमारी से शास्त्रार्थ करेगा। बहस शुरू हुई। राजकुमारी ने कालीदास को एक अंगुली दिखाई तो कालीदास ने उसे दो अंगुलियां दिखाई। राजकुमारी ने उसे पांच अंगुलिया यानि तमाचा दिखाया तो उन्होंने उसे घंूसा दिखाया। इन इशारों के मतलब आत्मा-परमात्मा संबंधी आध्यात्मिक थे, लेकिन राजकुमारी कुछ और ही समझ बैठी और कालीदास को विद्वान समझ शादी कर बैठी। जानकार लोग बताते हैं कि भारत-पाक सीमा पर उधर से आने वाले कभी कभी जाने-अनजाने अपने सामान के साथ काकरौंच इत्यादि भी ले आते हैं या समझिये कि वे जबरन आ जाते हैं, फिर भी हमने आज तक उन पर कोई कार्यवाही नहीं की। संयुक्त राष्ट्रसंघ जांच दल को भी नहीं कहा।
काकरौंच की बात चल पड़ी है तो उसके बारे में एक बार एक विद्वान ने बड़ी दिलचस्प बात बताई। उसका कहना था कि काकरौंच की अपने पूरे उपमहाद्वीप में बड़ी महिमा है। कई लोग जब दुनिया के मालिक से फरियाद करते हैं तो कहते हैं कि हे रब! अगले जन्म में मुझे और कुछ नहीं तो काकरौंच ही बना देना। पूछने पर ऐसे एक व्यक्ति ने बताया कि घर में पत्नी सिर्फ काकरौंच से ही डरती है और किसी से नहीं डरती। अत: बदला इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में ही सही।
पिता-पुत्र की निम्न बात भी घर-घर की कहानी है:-
पुत्र:-पापा! क्या आप शेर से डरते हैं?
पिता:-नहीं बेटा।
पुत्र:-क्या आप भालू से डरते हैं?
पिता:-नहीं।
पुत्र:-क्या आप बंदर से डरते हैं?
पिता:- नहीं।
पुत्र:-इसका मतलब है आप मम्मी के अलावा किसी से नहीं डरते?
सवाल यह है कि वहां से पचास कुत्ते आ गए तो वहां इन पर सवारी
करने वाले अब क्या करेंगे? खबर है कि अब भारत सरकार ने सीमा पर घंटियां बंधवाई हैं। देखें पाकिस्तान उसका क्या जवाब देता है। ढ़ेर सारी समस्याओं के साथ जैसे तैसे अपनी मियाद पूरी करने वाली पाक सरकार को अब एक और समस्या का सामना करना पड़ेगा और उसमें चीन या अमेरिका भी उनकी कितनी मदद कर पायेगा। यह अनुमान का विषय है।
-शिव शंकर गोयल

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