बीजेपी और एसपी का करीब आना

mula-raj-विजय शर्मा- अगर राजनीति संभावनाओं का खेल है तो इस संभावना से गुरेज क्यों? आखिरकार
हाल ही में उपजी कुछ स्थितियां तो यही इशारा कर रही हैं कि सियासत के दो
ध्रुवों पर काम करने वाली बीजेपी और मुलायम की पार्टी मिलकर मतदाताओं के
सामने एक नया समीकरण प्रस्तुत कर सकती हैं।
याद कीजिए 27 फरवरी 2013। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद
ज्ञापन देते हुए एसपी सुप्रीमो मुलायस सिंह ने बीजेपी की शान में कसीदे
पढ़े थे। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी बीजेपी के बारे में अपने
विचारों को बदल देगी अगर बीजेपी अपने विचारों और योजनाओं में कुछ फेरबदल
करती है। उन्होंने राजनाथ सिंह की ओर मुड़कर कहा था कि आप कश्मीर और
मुसलमानों के प्रति अपनी राय में बदलाव लाते हैं तब हम आपके लिए भी अपनी
राय बदल देंगे। भरी संसद में मुलायम की इस टिप्पणी से खलबली मच गई थी।
कांग्रेस के नेता तो बगले झांकने लगे थे। आखिरकार उनकी सरकार को टिकाए
रखने में मुलायम की बैसाखी का योगदान जो है। मुलायम यहीं नहीं रुके। यह
भी कहा कि उनकी पार्टी देशभक्ति, भाषा और सीमा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर
बीजेपी के साथ है। साथ ही मुलायम ने अपने भाषण में समाजवादी विचारधारा को
तवज्जो देने के लिए राजनाथ सिंह की तारीफ भी की।
संसद पार्टियों का पहला और आखिरी अड्डा भी है। यहीं ताकत दिखाई और आजमाई
जाती है। मुलायम के इस भाषण ने बीजेपी को अखिलेश सरकार के प्रति अपना रुख
नरम करने के लिए मजबूर कर दिया। कुछ आलोचकों का तो ये भी कहना था कि
मुलायम राज्य में विपक्षी पार्टी बीजेपी को शांत करना चाहते थे। ये भाषण
भी प्रेमबाण था।
मुलायम ने पहली चाल चल दी थी। बीजेपी में उनके इस बयान से सुगबुगाहट तो
बढ़ ही चली थी पर कोई ऑफिशियल प्रतिक्रिया नहीं आई। अब मुलायम ने दूसरा
बाण छोड़ा जिसने देश की सियासत में हलचल बढ़ा दी।
23 मार्च को मुलायम ने राजधानी लखनऊ में कहा कि आडवाणी जी कहते हैं कि
उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की हालत खराब है, और अब जब आडवाणी जी
जैसा वरिष्ठ व्यक्ति ये बोल रहा है तब मुझे खुद राज्य में स्थिति को
देखना पड़ेगा। मुलायम ने आगे कहा कि आडवाणी जी कभी झूठ नहीं बोलते
हैं…मैंने कई बार कहा है और फिर कहता हूं कि वे हमेशा सच बोलते हैं…मैं
उनसे दोबारा जाकर मिलूंगा।
सियासी गलियारे में दो बातों को लेकर हैरानी थी-  एक तो मुलायम ने आडवाणी
की जी भर कर तारीफ की थी और दूसरी ये कि मुलायम गाहे-बगाहे आडवाणी से
मिलते रहते हैं। इससे लोग लोग अभी तक अंजान थे।
सियासी जगत ने इस नव प्राप्त प्रेम को वरिष्ठ नेताओं का आपसी सद्भाव
बताकर भूलने की कोशिश की पर बीच-बीच में दोनों पार्टियां प्यार के
गुब्बारे उड़ाकर संदेश देने की कोशिश करती रहीं। इन गुब्बारों से आसमान
रंगीन होता जा रहा है।  चुनावी गठबंधन का जो इंद्रधनुष बन रहा है उसमें
बीजेपी के साथ समाजवादी पार्टी भी दिख रही है।
हाल ही में राजनाथ सिंह अंग्रेजी पर बयान देकर कांग्रेस के निशाने पर आ
गए हैं लेकिन उनका मकसद तो ये संदेश मुलायम तक पहुंचाना था। जो शायद हो
चुका है। राजनाथ ने कहा था कि देश को सबसे ज्यादा नुकसान अंग्रेजी भाषा
ने पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि आज देशवासी अपनी भाषा और संस्कृति से
ऊबते नजर आ रहे हैं, जो अच्छा संकेत नहीं है।
राजनाथ का ये संकेत मुलायम के लिए था, जिन्होंने संसद में ही घोषणा कर दी
थी कि भाषा के नाम पर वो बीजेपी के साथ है। मुलायम के बयान का राजनाथ ने
अब जवाब दिया है जिससे दोनों दलों में तालमेल बनने के आसार दिखे हैं।
उत्तर प्रदेश में बहुमत की सरकार बनाने वाली समाजवादी पार्टी (एसपी) ने
अपने घोषणा पत्र में कहा था कि सत्ता में आने पर वह बेगुनाह मुस्लिम
युवाओं के खिलाफ चल रहे आतंकी मामले बंद करेगी। इसकी कवायद उसने शुरू भी
की थी। लेकिन पुलिस हिरासत में एक मुस्लिम कैदी की मौत और उत्तर प्रदेश
के हाई कोर्ट ने उसकी इस मंशा को पूरा नहीं करने दिया। अखिलेश के अब तक
के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में 12 से ज्यादा दंगे हुए हैं। इन दंगों
में अल्पसंख्यक समुदाय को क्षति पहुंची है। इस वजह से 2012 में एसपी को
जिताने वाले मुस्लिम मतदाता उससे बिदक सकते हैं।
मुलायम ने 1990 में कार सेवकों पर गोली चलाने के आदेश देने पर हाल ही में
खेद जताया था। उनका ये कदम करीब 23 साल बाद आया है। माना जा रहा है कि
2014 आम चुनाव से पहले वह हिंदू मतों को अपने पाले में करने को लेकर चाल
चल रहे हैं। और यही वजह है कि वह अफसोस जता रहे हैं।
एसपी के संस्थापकों में से एक और अब कांग्रेस में शामिल हो चुके बेनी
प्रसाद वर्मा अपने मित्र मुलायम की इस मंशा से वाकिफ हैं और इसीलिए
अनाप-शनाप ही सही पर बार-बार बोलकर जताना चाहते हैं कि ‘मौलाना’ मुलायम
का दिल बदल रहा है। कांग्रेसी आम चुनाव से पहले सूबे के मुस्लिम मतदाताओं
को अपने साथ मानकर चल रहे हैं। उन्हें यकीन है कि राहुल गांधी एक बार फिर
2009 की तरह राज्य में करामात करेंगे और पार्टी को 30 से ज्यादा सीटें
दिलवा देंगे। मुलायम और मायावती इसे दिन में देखा गया सपना करार दे रहे
हैं। एसपी ने संसद में पदोन्नति में आरक्षण बिल का विरोध कर के ऊपरी वर्ग
को अपने साथ मिलाने का काम किया है। यह वर्ग पारंपरिक रूप से बीजेपी का
वोटर माना जाता रहा है।

विजय शर्मा
विजय शर्मा

नरेंद्र मोदी के खास अमित शाह उत्तर प्रदेश बीजेपी प्रभारी हैं। मुलायम
की पार्टी की तरफ से उनके विरोध में बोलने वालों में केवल आजम खान ही रहे
हैं। एक बारे में साफ तौर पर कहा जा सकता है कि एसपी जेडीयू की राह पर
नहीं जा रही है। ऐसे में अपना पार्टनर खो जुकी बीजेपी भी तमाम आपराधिक
मामलों को दरकिनार करके एसपी पर नरम रूख बनाए हुए है। 2004 चुनावों के
पहले अटल बिहारी वाजपेयी लगातार बयान दे रहे थे कि मुलायम जी के विचार
हमारी पार्टी से मेल खाते हैं। आज दोनों पार्टियों से मेलजोल के बयान आ
रहे हैं।
समीकरण बदलने के संकेत तो हैं लेकिन ये समीकऱण बदलेंगे कब- नफे नुकसान का
अंदाजा लगा लेने की कवायद पूरी होने पर 2014 के चुनाव से पहले या उसके
बाद?

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