असांजे को पनाह देगा इक्वाडोर

दक्षिणी अमेरिकी देश इक्वाडोर विकिलीक्स संस्थापक जूलियन असांजे को अपने देश में शरण देने पर राजी हो गया है। गुरुवार को उसने राजधानी क्वीतो में इस संबंध में विधिवत घोषणा की। इक्वाडोर का यह निर्णय एक दिन पहले ब्रिटेन द्वारा दी गई उस धमकी के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि वह असांजे को गिरफ्तार करने के लिए इक्वाडोर दूतावास में घुस जाएगा।

इक्वाडोर के विदेश मंत्री रिकार्डो पटीनो से क्वीतो में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रपति के पास अर्जी भेजे जाने के बाद इक्वाडोर ने यह फैसला किया है कि वह असांजे को राजनीतिक शरण देगा। पटीनो ने कहा है कि असांजे की जान को खतरा है।

उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना है कि असांजे को किसी तीसरे देश (अमेरिका) को प्रत्यर्पित किया जा सकता है, जहां उसके खिलाफ बेबुनियाद मुकदमा चलाया जा सकता है। पटीनो ने कहा कि सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत यह हमारा संप्रभु निर्णय है। इसका मतलब यह कतई न निकाला जाए कि हम ब्रिटेन से अपने संबंध तोड़ने जा रहे हैं। यह खबर सुनते ही लंदन स्थित इक्वाडोर दूतावास के समाने जमा हुए असांजे समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। लोग नारे लगाते देखे गए।

असांजे को लेकर इक्वाडोर और ब्रिटेन में नया विवाद पैदा होता दिख रहा है। असांजे ने जून से ही लंदन स्थित इक्वाडोर दूतावास में शरण ले रखी थी। ब्रिटेन का कहना है कि आसांजे को उनके खिलाफ स्वीडन में चल रहे यौन शोषण के मामले में प्रत्यर्पित करना उसका कानूनी दायित्व है। वहीं इक्वाडोर ने जोर देकर कहा कि अगर असांजे को गिरफ्तार करने के लिए ब्रिटेन लंदन स्थित उसके दूतावास में प्रवेश करता है तो यह वियना सम्मेलन का सरासर उल्लंघन होगा।

दूतावास से बाहर निकालना चुनौती
शरण दिए जाने के बाद भी इस बात की संभावना कम है कि असांजे बिना गिरफ्तार हुए लंदन छोड़ दें। इस बात की अटकलें हैं कि वह एयरपोर्ट तक राजनयिक कार में चले जाएं। उसके बाद उन्हें राजनयिक बैग में बाहर निकाला जाए। इस बात की संभावना है कि इक्वाडोर उन्हें अपना राजनयिक नियुक्त कर दे, जिससे वह गिरफ्तारी से बच जाएं।

ब्रिटेन ने दी थी धमकी
इक्वाडोर के निर्णय से पहले ब्रिटेन ने कहा था कि यदि दक्षिण अमेरिकी देश विकीलीक्स संस्थापक को शरण दे देता है तो भी वह उसे सुरक्षित मार्ग नहीं देगा। ब्रिटिश विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा था कि इससे (शरण देने से) हमारा रुख नहीं बदलेगा। हमारा रुख है कि उन्हें राजनीतिक शरण दे दी जाती है तो भी उन्हें (स्वीडन को) प्रत्यर्पित करना हमारा दायित्व है।

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