इस्लामाबाद: बच्ची की गिरफ्तारी से सहमे ईसाई

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के मेहरजाफर गांव में रिमशा के माता पिता जिस किराए के मकान में रहते थे, उस पर ताला लगा है.

ग्यारह साल की रिमशा फिलहाल ईशनिंदा के आरोप में पुलिस रिमांड पर बच्चों की जेल में हैं जबकि उनके पिता पुलिस हिरासत में हैं.

एक 11 साल की बच्ची को ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद से ये गांव सुर्खियों में है. मीडिया ने भी वहां अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है. रिमशा का संबंध ईसाई धर्म से है और उन पर कुरान-ए-कायदा का अपमान करके उसकी एक प्रति में आग लगाने का आरोप है.

रिमशा का परिवार मलिक अमजद नाम के व्यक्ति के घर में किराए पर रहता था.

अजमद का कहना है, “गुरुवार की शाम मेरा भांजा नमाज पढ़ने जा रहा था. तभी उसने देखा कि ये बच्ची कूड़ा फेंकने जा रही थी जिसमें कुरान की आयतें, नमाज के बारे में एक दो पुस्तिकाएं और इस्लामी कायदा था जो आधे जले हुए थे.”

पेशे से दर्जी एक स्थानीय नागरिक का कहना है, “हर आदमी यही कहता है कि अगर उन्होंने जानबूझ कर ऐसा किया है तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए.”

विवादित कानून

पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से विवादित ईश-निंदा क़ानून में सुधार की मांग करते रहे हैं. इस क़ानून के तहत किसी व्यक्ति को जानबूझ कर कुरान को अपवित्र करने के लिए उम्रकैद तक की सज़ा का प्रावधान है.

हाफिज मोहम्मद जुबैर मेहरजाफर गांव की मस्जिद के नायब इमाम हैं. वो मस्जिद का प्रबंधन कार्य भी संभालते हैं.

उनका कहना है, “बच्ची ने स्वीकार किया है कि उसने ये (पुस्तिकाएँ) जलाई हैं. घर में इन्हें जलाकर वो कूड़े करकट के ढेर में इन्हें फेंकने जा रही थी. उसकी मां ने भी स्वीकार किया है कि उसने ऐसा किया है.”

जब जुबैर से सवाल किया गया कि हो सकता है कि बच्ची से अनजाने में ऐसा हो गया हो, तो उन्होंने कहा, “अनजाने में कुरान ही क्यों (जलाया)? पहली बात है कि उन्हें इसकी सजा मिलनी चाहिए. उन्होंने ऐसा किया है. हम तो कहते हैं कि ये अच्छा फैसला है कि उन्हें कानून के हवाले किया गया. कानून में इसकी सजा मौजूद है. अगर वहां इस सजा का प्रावधान न हो तो फिर हम पर उन्हें इस्लाम के हिसाब से सजा देने की जिम्मेदारी आती है.”

सहमे हुए ईसाई

ईसाई समुदाय के सैकड़ों परिवार मेहरजाफर गांव में बरसों से रहते हैं. इनमें से बहुत से लोग स्थानीय मुस्लिम परिवारों के मकानों में किराए पर रहते हैं.

इस गांव में मुस्लिम और ईसाई परिवार भाईचारे के साथ रहते आए हैं. लेकिन ईशनिंदा के आरोपों में रिमशा की गिरफ्तारी के बाद से बहुत से ईसाई परिवार अपने घर बार छोड़ कर भाग गए हैं.

हालांकि कुछ ईसाई अब भी इस गांव में हैं. इनमें सिद्दीक मसीह का परिवार भी शामिल हैं.

वो कहते हैं, “दो तीन सौ लोग थे जो इधर आए. कहने लगे कि इन्हें यहां से निकालो, इन्हें मारो. फिर हमारे मकान मालिक आ गए और उन्होंने कहा कि इन्हें मारिए मत, बल्कि कानून के हवाले कर दीजिए.”

सिद्दीक महीस आगे बताते हैं, “यहां कुछ लोग कहते हैं कि जितने ईसाई लोग यहां हैं, उन्हें निकाला जाए. लेकिन हमारे मकान मालिक हमारा साथ देते हैं. इसलिए डरे हुए काफी ईसाई लोग यहां से रात के तीन बजे अपने बच्चों को लेकर निकले हैं. यहां के कुछ लोग कहते हैं कि उन्हें बुलाओ. हमें फोन करते हैं लेकिन वो आने को तैयार नहीं होता. उन्हें डर है कि कहीं कोई समस्या न हो.”

ये कैसी वापसी

कई स्थानीय मुस्लिम परिवार भी चाहते हैं कि जो लोग घर छोड़ कर चले गए हैं, वो वापस आएं. उनका कहना है कि अब कुछ लोग वापस आ रहे हैं.

एक स्थानीय मुस्लिम व्यक्ति का कहना है, “जो भी ईसाई परिवार यहां से गए हैं, वो उन्होंने अपनी मर्जी से यह जगह छोड़ी है. किसी उन्हें मारा नहीं है, उन्हें कुछ कहा नहीं है.”

लेकिन अपना घर छोड़ कर जाने वाले एक व्यक्ति तस्वीर का दूसरा रुख बयान करते हैं.

उनका कहना है, “शुक्रवार के बाद हमने अपने मकान मालिक को फोन किया था. उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. कोई परेशान नहीं करेगा. लेकिन ये बात है कि आप पहली तारीख तक हमारा मकान खाली कर दें.”

 

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