पैसे तो हैं सहारा के पास लेकिन उसे जमा करने वाले ‘निवेशक’ कौन हैं

subrata royसहारा के सुब्रत राय आखिरकार गिरफ्तार हुए. आप लेकिन एक तथ्य पर जरा गंभीरता से गौर कीजिये. कोई भी चिट-फंड कंपनियां जब विवाद में फंसती है या भागती है या उसके किसी प्रमोटर की गिरफ्तारी होती है तो देश में हाहाकार मच जाता है. किसी जवान बिटिया के बाप आत्महत्या करने पर मजबूर होते हैं तो किसी की जीवन भर की कमाई लुट जाने के कारण हाहाकार मचने की खबर आती है. अभी ममता बनर्जी द्वारा शारदा चिट-फंड के माध्यम से ऐसे ही करोड़ों खसोटने का वृत्तांत आपने जाना ही होगा. साथ ही सुना होगा ऐसी ही दर्जनों दर्दनाक कहानियाँ सपनों के छीन जाने की. है न?

लेकिन… लेकिन सहारा अपने निवेशकों का 24 हज़ार करोड़ रुपया लौटा नहीं रहा है पर कहीं किसी निवेशक को रोते-कलपते आपने देखा है? सोचा आपने कभी कि आखिर माजरा क्या है? भाई साहब… इस केस में मामला ज़रा उलटा है. पैसे तो हैं सहारा के पास लेकिन उसे जमा करने वाले ‘निवेशक’ कौन हैं यह पता नहीं चल रहा है. सेबी यहाँ ‘पैसा’ नहीं ‘निवेशकों’ को खोज रहा है. यानी यह मामला पैसा लूटने का नहीं बल्कि शायद काले धन को सफ़ेद करने का मामला है. यह बड़ा स्कैंडल है. यह शायद देश का सबसे बड़ा स्कूप हो सकता है अगर सहारा केवल उन कथित निवेशकों की सूची दे दे सेबी को. जिस अधिकारी ने ये जांच की थी उसका ट्रांसफर भी कर दिया गया है. लेकिन केस को वे पुख्ता कर गए. ‘सूची’ का इंतज़ार कीजिये. पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त.

पत्रकार और भाजपा नेता पंकज कुमार झा के फेसबुक वॉल से.

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