प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेतृत्व द्वारा कल रात केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक बुलाकर एक घिनौना षडयंत्र रचा गया। उत्तराखंड की चुनी हुई सरकार के बहुमत को किस प्रकार साजिश करके अल्पमत मे। ं बदला जाए, उस षडयंत्र का पटाक्षेप आज सुबह हुआ, जब बाद दोपहर मन की बात खत्म होते ही उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन व विधायिका को सस्पेंडेड एनिमेशन में रख दिया गया। उत्तराखंड में मोदी सरकार द्वारा प्रजातंत्र की दिन दहाड़े हत्या की गई, संविधान को कुचला गया, और राजधर्म की धज्जियां उड़ाई गईं। बहुमत को अल्पमत में बदलने की भाजपाई साजिश का अरुणांचल के बाद उत्तराखंड दूसरा नमूना है। सच यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जी, सत्ता का अहंकार उनके सर चढ़कर बोल रहा है। संविधान, प्रजातंत्र, लोकतंत्र, लोकलाज, मान्यताएं और परंपरा उनके लिए नगण्य वस्तुएं बन गई हैं, और इसीलिए आए दिन विपक्षी सरकारों को तोड़ने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। उत्तराखंड में पहले भारतीय जनता पार्टी द्वारा सत्ता का और धनबल का दुरुपयोग किया गया। उसमें भाजपा औंधे मुंह गिरी, उसके बाद फर्जी स्टिंग आॅपरेशंस का सहारा लिया गया, उसमें भी भाजपा औंधे मुंह गिरी। भारतीय जनता पार्टी और भगोड़े विधायक हाईकोर्ट के दरवाजे तक गए, परंतु न्यायपालिका ने हमें न्याय दिया और उनकी पेटिशन को खारिज कर दिया। जब सब दरवाजे मोदी सरकार के लिए बंद हो गए, तो कांग्रेस की उत्तराखंड की सरकार को तोड़ने के लिए एक नया षडयंत्र रचा गया और कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए, राजधर्म को दरकिनार करते हुए, आज दिन में वहां पर राष्ट्रप्रति शासन लगा दिया गया। पूरी 130 करोड़ इस देश की जनता मोदी जी के इस व्यवहार को देख रही है, क्योंकि अब पूरा देश जानता है कि भारतीय जनता पार्टी, जनता का मन जीतकर कभी सत्ता प्राप्त नहीं कर सकती, इसीलिए सत्ता पर काबिज होना, जोर जबरदस्ती से, धन-बल और सत्ता के दुरुपयोग से, संविधान की अवमानना से, राजधर्म की धज्जियां उड़ाकर, केवल मोदी जी शाह जी और भाजपा का इकलौता लक्ष्य रह गया है, पहले बिहार की करारी हार और उससे पहले दिल्ली की करारी हार और बहुत सारे उपचुनावों की करारी हार, भाजपा पचा नहीं पा रही, परंतु इस देश की 130 करोड़ जनता की ओर से, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के करोड़ों कार्यकर्ताओं की ओर से हम कहना चाहेंगे कि न केवल कांग्रेस पार्टी, न केवल उत्तराखंड की जनता, परंतु पूरा देश मिलकर इस दमनकारी नीति का विरोध करेगा, संविधान के अनुरुप भी, कानून के अनुरुप भी, और जनता की अदालत में, अगले पांचों राज्यों के चुनाव में पांचों राज्यों की जनता, मोदी जी को इसकी सख्त सजा तो देगी ही, परंतु इसके बाद के अगले हर चुनाव में मन की बात करने वाले मोदी जी को देश की जनता संपूर्ण तौर से नकारने वाली है, और इसी भय से वो चुनी हुई सरकारों को अल्पमत में लाकर धन बल और सत्ता का दुरुपयोग करके इस षडयंत्रकारी कार्यवाही में लगे हैं।
आदरणीय नरेंद्र मोदी जी, बार बार राजनीति में ईमानदारी, शुचिता और पारदर्शिता का दम भरते हैं, पर क्या देश को यह बताएंगे कि मोदी जी की पारदर्शिता और ईमानदारी की संस्कृति की कसौटी चुनी हुई सरकारों को लोभ, लालच, प्रलोभन व दबाव से जबरन गिराने की है? क्या यही भाजपा का असली चाल, चेहरा और चरित्र है?
सच यह है कि सत्ता का अहंकार, मोदी जी और अमित शाह जी के सर चढ़ बोल रहा है और संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी, लोकतंत्र के न्यूनतम मापदंडों के प्रति जबावदेही व जनता के मत के सम्मान की भावना को संपूर्णतया प्रधानमंत्री व भाजपाई नेतृत्व ने त्याग दिया है, क्योंकि पहले दिल्ली और फिर बिहार, तथा उपचुनाव की करारी हार से मोदी जी को यह स्पष्ट हो गया है कि वो इस देश की जनता का मन तो जीत नहीं सकते, इसलिए जबरन सत्ता पर काबिज होना, येन केन प्रकारेण से ही एकमात्र लक्ष्य अब मोदी जी और अमित शाह जी का रह गया है। उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में पांच मुख्य बिंदु हैं:-
सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी के द्वारा सत्ता और धनबल का दुरुपयोग किया गया, उत्तराखंड की सरकार को तोड़ने के लिए। मोदी जी के मंत्री महेश शर्मा चार्टड फ्लाईट से रातों रात 9 विधायकों को लेकर भागे। उन नौ बागी विधायकों को पहले हरियाणा सरकार द्वारा पंाच तारा होटलों में गुड़गांव में रखा गया और आज भी वो जयपुर, राजस्थान में भाजपाई भोगविलास का आनंद ले रहे हैं। और मोदी जी के विभिन्न मंत्री समेत श्रीमति स्मृति ईरानी उन बागी विधायकों को मिलने पांच सितारा होटलों में गए। उन्होंने स्वयं यह माना कि वो अमित शाह जी और भाजपा नेतृत्व के संपर्क में हैं। दूसरा बिंदु है कि इन सबके बावजूद भी जब वो कांग्रेस सरकार को अल्पमत में नहीं ला पाए, तो एक भाजपा प्रायोजित याचिका उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर की गई। हाईकोर्ट द्वारा वो याचिका भी खारिज कर दी गई। तीसरा स्पष्ट बिंदु यह है कि इसके बाद एक फर्जी स्टिंग आॅपरेशन का सहारा लिया गया, मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत और सरकार को बदनाम करने के लिए, जब उसमें भी दाल नहीं गली, तो फिर राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए घोर असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक मार्ग पर मोदी जी चल पड़े, जिसके पटाक्षेप आज हुआ। चैथा बिंदु है कि खुद एसआर बोम्मई केस के बाद और उससे पहले ये स्पष्ट है कि सरकार की लोकप्रियता का इम्तिहान केवल विधायिका या सदन के पटल पर ही हो सकता है, और कहीं नहीं। गवर्नर उत्तराखंड के द्वारा बाकायदा एक संवैधानिक निर्देश जारी करके कांग्रेस की हरीश रावत सरकार को 28 तारीख को अपना बहुमत साबित करने का हुक्म दिया गया। कांग्रेस पार्टी ने इसका स्वागत किया और कहा कि हम बहुमत साबित कर देंगे। तो फ्लोर टेस्ट के 24 घंटे पहले राष्ट्रपति शासन लगाना, मोदी जी, शाह जी और भाजपा की साजिश नहीं तो और क्या है? प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष, क्यों कांग्रेस की सरकार को अपना बहुमत साबित करने का मौका नहीं देना चाहते? और पांचवां, उत्तराखंड की विधायिका को सस्पेंडेड एनिमेशन में रखना, मोदी सरकार की बेईमानीपूर्ण मंशा का जीता जागता सबूत है, क्योंकि आज भी जब उनके पास बहुमत नहीं है, तो वो अगले कुछ दिनों या महीनों का इस्तेमाल कर, विधायकों की खरीद फरोख्त कर, लोभ लालच और प्रलोभन का इस्तेमाल कर, अल्पमत को बहुमत में बदलने की साजिश कर रहे हैं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मोदी सरकार ने न डरने वाली, न दबने वाली, न झुकने वाली। हम जरूरी कानूनी राय के बाद अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करेंगे, हम इस पूरे मामले को उत्तराखंड और देश की जनता की अदालत में लेकर जाएंगे। जैसे दिल्ली और बिहार के जागरुक मतदाताओं ने सत्ताप्राप्ति के बाद मोदी जी की अहंकारी प्रवृत्ति को सजा दी है, पांच राज्यों के उपचुनाव, पांच राज्यों के चुनाव और अगले सभी चुनावों में इस देश के 130 करोड़ लोग मोदी जी को इसका जबाव देंगे।
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