इससे तो पोषाहार की व्यवस्था पहले अच्छी थी

ऐसा समझा गया था कि राष्ट्रीय पोषाहार कार्यक्रम के अंतर्गत नांदी फाउंडेशन को पोषाहार वितरण की व्यवस्था देने से न केवल गुणवत्ता में सुधार आएगा, अपितु वितरण व्यवस्था भी बेहतर हो जाएगी, मगर ऐसा हुआ प्रतीत नहीं होता है। इसी कारण प्रशासन ने फाउंडेशन को एक माह के अंदर-अंदर मैन्यू के मुताबिक समय पर गुणवत्ता युक्त खाना सप्लाई करने का अल्टीमेटम दिया है।
आपको याद होगा कि जब स्कूल स्तर पर पोषाहार बनाने की व्यवस्था थी तो भी शिकायतें आती थीं। इसी कारण सेंट्रलाइज किचन के शुभारंभ का इंतजार किया जा रहा था। बड़ी मुश्किल से किचन शुरू तो हो गया, मगर उससे जो आशाएं थीं, वे पूरी नहीं हुईं। अब शिकायतें आ रही हैं कि कहीं पोषाहार समय पर नहीं मिल रहा तो कहीं से पोषाहार घटिया होने की शिकायत आ रही है। सप्ताह में एक बार बच्चों को पोषाहार में दाल-बाटी देना तय हुआ, लेकिन नांदी फाउंडेशन दाल-बाटी सप्लाई नहीं कर रहा है। जब शिकायतों की संख्या बढ़ी तो प्रशासन के भी कान खड़े हुए। जिला परिषद के सीईओ सी आर मीणा ने कहा है कि नांदी फाउंडेशन को एक माह में अपनी व्यवस्थाएं सुधारने व गुणवत्तापूर्ण खाना सप्लाई करने की चेतावनी दी गई है। जिन स्कूलों में पोषाहार सप्लाई नहीं किया गया है, वहां के बिल में कटौती की जाएगी। कुल मिला कर स्कूल स्तर पर यही चर्चा है कि इससे पहले वाली व्यवस्था बेहतर थी।

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