एक लंबे अरसे तक सांप्रदायिकता के आरोप की वजह से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से दूरी बना कर रख रहे ब्रिटेन ने अब उनसे नजदीकी कायम करने की सोची है। उसी के तहत ब्रिटिश विदेश मंत्री ने भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त को मोदी से मिलने के निर्देश दिए और वे मिले भी। इससे जहां मोदी ने राहत की सांस ली है, वहीं भाजपा के लिए भी यह सुखद है कि उसके एक दिग्गज नेता व भावी प्रधानमंत्री माने जा रहे नेता को ब्रिटेन अब अछूत नहीं मानता। समझ जा सकता है कि ब्रिटेन के इस रुख से मोदी दिल्ली के और करीब हो गए हैं। जहां तक ब्रिटेन के रुख का सवाल है, लगता ये है कि भले ही उसकी धारणा न बदली हो, मगर उसे कम से कम ये तो लगने ही लगा है कि मोदी भारत के भावी प्रधानमंत्री हो सकते हैं। ऐसे में बेहतर ये है कि उनसे अभी से संबंध सुधार लिए जाएं।