भाजपा जेठमलानी से पिंड क्यों न छुड़वाती?

राजस्थान से भाजपा के सांसद राम जेठमलानी अपनी ही पार्टी के मुसीबत बनते जा रहे हैं। जो पार्टी राम का नाम लेकर ही चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिशें करती रही हो, उसी का एक जिम्मेदार सांसद अगर राम के बारे में नकारात्मक राय रखता हो, तो पार्टी को परेशानी होनी है। ज्ञातव्य है कि जेठमलानी कहा था कि राम एक बुरे पति थे। इस पर बवाल हुआ। विनय कटियार को छोड़ कर हर किसी ने उनकी आलोचना की। जब जेठमलानी पर बयान वापस लेने का दबाव बना तो वे और उखड़ गए। अब तो कह रहे हैं कि उनकी राय सुविचारित है, जुबान नहीं फिसली है। इससे भी एक कदम बढ़ कर वे कहते हैं कि राम हुए भी थे या नहीं, उसी पर ही उन्हें संदेह है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो पार्टी मात्र राम नाम रट कर अपना वजूद बनाए हुए है, उसी का सांसद जब ये कहेगा कि राम हुए भी या नहीं तो पार्टी के लिए कितना शर्मनाक होगा। ऐसे में पार्टी के लोग यह कह कर कि यह उनकी निजी राय है, पार्टी से उसका कोई लेना देना नहीं है, कह कर पिंड छुड़वा रहे हैं। मगर अचरज इस बात पर है कि आखिर क्या वजह है कि जेठमलानी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का साहस नहीं जुटाया जा पा रहा है। कानाफूसी है कि उनके पास कई नेताओं के राज हैं, इस कारण हर कोई उनसे घबराता है। वे तो पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ भी सबूत होने का दावा कर चुके हैं। ऐसे में उनके खिलाफ कार्यवाही करने से पहले भाजपा को दस बार सोचना होगा।

error: Content is protected !!