क्या बाकोलिया का बंगला हटाया जा पाएगा?

वरिष्ठ नगर नियोजक की ओर से बहुचर्चित दीपदर्शन सोसायटी की माधवनगर योजना में सड़क की भूमि पर निर्मित मकान और भूखंड को अवैध करार देने के बाद राज्य सरकार ने नगर निगम प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि माधव नगर को मूल स्वरूप में लाने के लिए रोड की जद में आ रहे मकानों को अतिक्रमण करार देकर हटाया जाए और भूखंडों को कब्जे में लिया जाए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या प्रदेश में कांग्रेस सरकार के रहते कांग्रेस के ही मेयर कमल बाकोलिया के बंगले को हटाया जा सकेगा? ज्ञातव्य है कि विभाग ने राज्य सरकार के आदेश से किए गए सर्वे के बाद रिपोर्ट में कहा है कि योजना के स्वीकृत प्लान में सौ फीट चौड़ा रोड है, लेकिन सोसायटी ने रोड की चौड़ाई चालीस फीट कर शेष साठ फीट की भूमि पर भूखंड आवंटित कर दिए। सौ फीट रोड की जद में नगर निगम मेयर कमल बाकोलिया का बंगला सहित करीब तीस मकान और भूखंड हैं।
हालांकि इस मामले में नगर निगम की सीईओ विनिता श्रीवास्तव और अन्य अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं, मगर सवाल उठता है कि आखिर कब तक? क्या वे इस आदेश को ठंडे बस्ते में रखे रहेंगे या फिर कार्यवाही करने की हिम्मत जुटाएंगे? यह सवाल इस कारण अहम है कि खुद मेयर बाकोलिया कांग्रेस के हैं।
उल्लेखनीय है कि दीपदर्शन सोसायटी भूमि घोटाले के उजागर होने के बाद नगर निगम ने गत 21 जून 2011 में सोसायटी की माधवनगर योजना में 59 भूखंड कब्जे में लिए थे और दस दुकानें सीज कर दी थी। नगर निगम ने माधवनगर को निगम के कब्जे में करार देते हुए स्वामित्व का बोर्ड भी लगा दिया था।

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