पार्टी से बाहर होने के कगार पर हैं तिवाड़ी

ghanshyam tiwariभाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी ने देव दर्शन यात्रा की शुरुआत करते हुए जिस प्रकार नाम लिए बिना अपनी ही पार्टी के कई नेताओं पर निशाना साधा है, उस पर कानाफूसी हो रही है कि कहीं वे उस सीमा रेखा को पार नहीं कर गए, जिसके बाद सिर्फ पार्टी के बाहर का रास्ता निकलता है। इस प्रकार की आशंका इस कारण भी उत्पन्न होती है क्योंकि उन्होंने अपनी भड़ास योग गुरू बाबा रामदेव के सामने ही निकाली, जो कि निकट भविष्य में अपनी नई पार्टी बनाने की सुर्री छोड़ चुके हैं। इसके अतिरिक्त उनके इस बयान से भी संकेत मिलते हैं कि लोग कहते हैं कि घनश्याम जी देव दर्शन यात्रा क्यों कर रहे हैं? घनश्याम जी किसके पास जाएं? सबने कानों में रुई भर रखी है। न कोई दिल्ली में सुनता है न यहां। सारी दुनिया बोलती है, उस बात को भी नहीं सुनते। अर्थात उन्हें अब पार्टी हाईकमान से भी उम्मीद नहीं बची है। हालांकि संभावना अब भी है कि उन्हें मना लिया जाए, मगर जैसा उनका रुख है और जैसा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे का मिजाज, उससे तो यही लगता है कि वे भाजपा को बेड़ा छोडऩे की तैयार कर चुके हैं।
इस कानाफूसी को उनके इन शब्द बाणों की रोशनी में देखिए:-
जिन लोगों ने अंग्रेजों के तलवे चाटे आज वे देश पर राज कर रहे हैं। सत्ता के मोल व मूल्य बदल गए हैं। धूर्त व धनवान लोग सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं।
जिन लोगों ने गंगाजल हाथ में लेकर न्याय के लिए संघर्ष करने की बात कही थी, वे भी छोटे से पद के लिए छोड़कर चले गए।
सबसे पहले जाकर भगवान के यहां अर्जी लगाऊंगा कि हे भगवान, भ्रष्ट नेताओं की जमानत जब्त करा दे। राजस्थान को बचाओ। राजस्थान को चरागाह समझ रखा है।
एक स्टेंटमेंट से मुझे बड़ा दुख हुआ, जब हमारे ही एक मित्र ने एक स्टेटमेंट दे दिया कि तिवाड़ी तो ब्राह्मण हैं, ब्राह्मण मास लीडर नहीं हो सकता, तो मैंने उपनेता से त्यागपत्र देते हुए कहा कि मैं तो मास लीडर नहीं हूं।

1 thought on “पार्टी से बाहर होने के कगार पर हैं तिवाड़ी”

  1. तिवारि गुजरात के केशुभाई होने क रास्ता बना रहे है उनकि मन्सा सी.एम. बनने कि थी लेकिन वो पुरि नहि हुई ईसलिये हतास है भाजपा को सभी जातियो का साथ पाने के लिये उनके उपर लगी ब्राह्मनो, बनियो और समन्त वादियो कि चवि को दुर करना होगा और सभी जातियो को प्रतिनिधित्व देना होगा !
    आज भाजपा मे सिर्फ ब्राह्मनो, बनियो और सामन्ति राजपुतो का हि वर्चस्व है बाकि जातियो के लोगो का शोशन किया जाता है और उनको उपर तक पनपने नहि दिया जाता है और कुश करने के लिये सिर्फ बेवकुफ बनाया जाता है और वोत पाने के लिये एजोन्तो कि तरह कम लिया जाता है

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