सरवाड़ में तब क्यों नहीं पहुंची अजमेर बार?

Rajesh Tandon 3अब जबकि सरवाड़ में चल रहा गतिरोध समाप्त हो चुका है, तो अजमेर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश टंडन ने मुख्यमंत्री से सरवाड़ प्रकरण में दोषी अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराने की भी मांग की है।
टंडन ने पत्र में उल्लेख किया है कि जनता ने स्वेच्छा से बाजार बंद कर विरोध व्यक्त करते हुए जता दिया कि स्थानीय पुलिस एवं प्रशासनिक अफसरों ने मनमाने ढंग से कार्रवाई करते हुए सांप्रदायिक सौहार्द समाप्त कर दिया। सरवाड़ में गोपाल वाटिका और रानी कुंड को लेकर कोई विवाद नहीं है। वाटिका में लोग वर्षों से पूजा अर्चना कर रहे हैं। पूजा-अर्चना के मामले में मुस्लिम समुदाय अथवा संस्था ने कोई आपत्ति नहीं की है। प्रशासन ने निराधार ही 145 दंड प्रक्रिया संहिता का एक प्रकरण बना कर उक्त दोनों स्थानों पर रिसीवर नियुक्त कर दिया। रिसीवर कायमी के बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर सरवाड़ की शांति को खतरे में डाल दिया। कानाफूसी है कि रिसीवर की नियुक्ति के विरोध के साथ ही गतिरोध शुरू हुआ था, तो तब बार ने मौके पर जा कर प्रशासन को अपने तर्क से क्यों नहीं अवगत कराया? आठ दिन तक बाजार बंद रहे और गतिरोध बना रहा, मगर तब बार को यह ख्याल नहीं आया कि जिला प्रशासन को समझाए कि वह गलत कर रहा है? अब जबकि मामला समाप्त प्राय: हो चुका है, तो बार को सरवाड़ याद आ रहा है। कानाफूसी ये भी है कि सरवार प्रकरण से बार का लेना-देना क्या है? असल में बार का गठन वकीलों की समस्याओं, उनके अपेक्षाओं और न्यायिक प्रक्रिया में आ रही कठिनाइयों के मुद्दे उठाना है, तो वह जनहित के नाम पर अनावश्यक रूप से प्रशासनिक कामकाज में दखल किसा बिना पर दे रही है? कहने की जरूरत नहीं है कि बार अध्यक्ष टंडन के इस प्रकार अन्य मुद्दों पर बोलने को लेकर वकीलों का एक वर्ग विरोध करता रहा है कि वे अपनी राजनीति चमकाने के लिए ऐसा करते हैं?

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