किरण माहेश्वरी के बयान के मायने क्या हैं?

kiran4एक ओर जहां अजमेर की भाजपा नेत्री डॉ. कमला गोखरू के पति और अजमेर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय के हृदयरोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. आर के गोखरू पर दवाओं के गोरखधंधे में शामिल होने के आरोप लगने से स्थानीय भाजपाई सकते में हैं, वहीं दूसरी ओर इसी मौके पर भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं विधायक किरण माहेश्वरी की ओर से निशुल्क दवा योजना को निशाने पर लेना चौंकाने वाला है। समझ में ही आता कि आखिर इसी मौके पर उन्होंने यह मुद्दा क्यों उठाया?
किरण माहेश्वरी का कहा कि नि:शुल्क दवा योजना नौकरशाही की संवेदनहीनता की शिकार हो गई हैं। दवाओं की खरीद में गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है। बाजार से दवाइयां खरीदना लोगों की विवशता बन गई है। राजकीय चिकित्सालयों के बाहर खुदरा दवा विक्रेताओं की बिक्री में कोई कमी नहीं आ रही है। राज्य सरकार की प्रशासनिक अक्षमता के कारण राज्य में दवा माफिया विकसित होता जा रहा है। उनके ये सारे आरोप संयोग से डॉ. गोखरू पर हाल ही लगे आरोपों से मेल खाते हैं। समझ में नहीं आता कि किरण ने जानबूझ ये बयान दिया है या फिर रूटीन में ही बयान जारी कर दिया है? ऐन इस मौके पर इस योजना की आलोचना क्यों की, जब कि यह योजना कई दिन से चल रही है और इसका दुरुपयोग भी काफी दिनों से हो रहा है। सच क्या है ये तो पता नहीं, मगर उनके इस बयान से भाजपाई जरूर कसमसा जाएंगे। डॉ. कमला गोखरू भी मन ही मन सोचेंगी कि क्या किरण जी को इसी मौके पर बोलना जरूरी था? आम लोगों में भी यही चर्चा होगी कि भाजपा को इस योजना का इस आधार पर आलोचना करने का अधिकार ही क्या है, जब कि उसकी की पार्टी की नेता के पति पर गंभीर आरोप लगे हैं।
उल्लेखनीय है कि डॉ. कमला गोखरू भाजपा महिला मोर्चा की बड़ी नेता हैं और मसूदा विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदार भी। पति पर लगे आरोप की वजह से उनका दावा कुछ कमजोर हुआ है। वो इसलिए कि आज पार्टी नेता ही उन्हें यह कहने की स्थिति में हैं कि जब आपके पति पर ही आरोप लगे हैं तो आप पर कैसे दाव खेला जाए? बेशक दवा के गोरखधंधे से डॉ. कमला गोखरू का कोई संबंध नहीं, मगर लोग तो पति के कृत्य से पत्नी को तो जोड़ कर देखेंगे ही।
ज्ञातव्य है कि हाल ही एक जांच में पाया गया कि अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के हृदय रोग विभाग में फ्री इंजेक्शन उपलब्ध होने पर भी 30-30 हजार रुपए कीमत के महंगे इंजेक्शन लिखे जा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पी के सारस्वत ने तो यहां तक कहा कि पूर्व में तीन बार डॉ. गोखरू व अन्य को हिदायत दे चुके हैं कि सरकार ने जो व्यवस्था कर रखी है, उसी के अनुरूप दवाएं लिखें व दें, लेकिन कोई मान नहीं रहा। सरकार की ओर से निशुल्क इंजेक्शन उपलब्ध के बावजूद जो महंगे इंजेक्शन लिखे जा रहे हैं, वे सिर्फ डॉ. आर के गोखरू के भाई परमचंद के मेडिकल स्टोर पर मिलना मामले को और गंभीर करता है। बाजार में जिस साल्ट का इंजेक्शन ढ़ाई से तीन हजार रुपए में उपलब्ध है, वही तीस हजार का मंगवाया जा रहा है। ऐसे में साफ है इंजेक्शन पर कम से कम 25 से 27 हजार रुपए का मोटा कमीशन मिलता है।
-तेजवानी गिरधर

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