किन्नर अब तीसरा जेंडर, ओबीसी में आरक्षण भी

kinnarसमान अधिकार के लिए लड़ रहे किन्नरों को मंगलवार को बड़ी कामयाबी मिली। सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कहा, ‘किन्नरों को तीसरा जेंडर माना जाए।’ फिर सरकार को निर्देश दिया, ‘किन्नरों को सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक रूप से पिछड़ा माना जाए। उन्हें ओबीसी आरक्षण का पूरा लाभ मिले।’ कोर्ट के आदेश के बाद अब वोटर आईडी जैसे किसी भी सरकारी दस्तावेज में जेंडर बताने के लिए तीसरी कैटेगरी भी होगी। यानी, अब महिला, पुरुष और किन्नर कैटेगरी होगी। यह फैसला अक्टूबर 2012 में दायर एक याचिका पर आया है। कोर्ट ने 29 अक्टूबर 2013 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस केएस. राधाकृष्णन और एके. सीकरी की बेंच ने मंगलवार को फैसला सुनाया।
गोद लेने का अधिकार भी मिला 
बेंच ने कहा, ‘किन्नरों के लिए अलग श्रेणी की मान्यता देना सिर्फ सामाजिक या चिकित्सकीय मसला नहीं है। यह मानवाधिकार का मामला भी है। वे भी इस देश के नागरिक हैं। आम नागरिकों की तरह उन्हें भी हर अधिकार मिलने चाहिए।’ इस फैसले से किन्नरों को बच्चा गोद लेने का भी अधिकार मिल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल किन्नरों तक ही सीमित है। इसका समलैंगिकों से कोई लेनादेना नहीं होगा। याचिका नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ने दायर की थी।

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