आडवानी, जोशी व सुषमा पर भाजपा में माथापच्ची

adwani 6नई दिल्ली / एग्जिट पोल में दिख रही स्पष्ट बढ़त के बाद बीजेपी में सरगर्मी बढ़ गई है। 16 मई को नतीजे आने से पहले बीजेपी में घर के सारे कील-कांटे दुरुस्त करने की कवायद तेज हो गई है। सरकार बनने की स्थिति में नरेंद्र मोदी के विरोधी माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज की क्या भूमिका होगी इसको लेकर पार्टी में मंथन का दौर शुरू हो गया है। इसी सिलसिले में नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह ने आज सुषमा स्वराज से मुलाकात की। हालांकि सुषमा स्वराज ने इसे महज शिष्टाचार मुलाकात कहा है। आज शाम गांधीनगर में मोदी से राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और गडकरी मिलने वाले हैं। इससे 2 दिन पहले भी गडकरी मोदी से मिल चुके हैं। सोमवार को मोदी से मिलने के बाद पिछले दो दिनों में गडकरी ने पहले आडवाणी और फिर जोशी से मुलाकात की थी। ऐसा माना जा रहा है कि गडकरी को बीजेपी के सीनियर नेताओं का मन टटोलने का दायित्व मिला है।
करीब-करीब यह तय है कि मोदी की सरकार में आडवाणी शामिल नहीं होंगे। ऐसे में उन्हें एनडीए का चेयरमैन या लोकसभा स्पीकर बनाने जैसे पेशकश सामने आ रहे हैं। फिलहाल आडवाणी एनडीए के कार्यकारी चेयरमैन हैं और सूत्रों का कहना है कि वह पार्टी के परामर्शदाता की भूमिका में रहना चाहते हैं। सूषमा को लेकर खबर आ रही है कि वह लोकसभा स्पीकर बनने की इच्छुक नहीं हैं और कोई बड़ा मंत्रालय चाहती हैं। बताया जाता है कि गडकरी और राजनाथ ने मुलाकात के दौरान उन्हें भरोसा दिलाया है कि सरकार में उनके कद के हिसाब से उन्हें काम दिया जाएगा।
बीजेपी नेतृत्व नहीं चाहता कि सरकार बनने की स्थिति में पार्टी में किसी तरह के मतभेद की बात सामने आए। यही वजह है कि पार्टी का एक धड़ा इस संबंध में आरएसएस की मदद लेने की भी वकालत कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि आडवाणी को ऐसा लग रहा है कि नई सरकार में अगर वह सक्रिय रूप से शामिल हुए, तो भी उनका पुराना रुतबा वापस नहीं आने वाला है। इधर बीजेपी भी पार्टी में सत्ता के दो केंद्र नहीं चाहती। यही वजह है कि आडवाणी और जोशी जैसे दिग्गजों की भूमिका तय करने में पार्टी को काफी मुश्किल हो रही है।

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