परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले महीने दिल्ली में ई-रिक्शा पर से रोक हटाने और इसे खरीदने के लिए सस्ती दरों पर कर्ज देने की घोषणा की थी . अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि गडकरी के इस ऐलान से दिल्ली के एक लाख र्इ-रिक्शा चालकों के परिवारों के अलावा गडकरी के रिश्तेदारी की एक कंपनी को भी फायदा होगा. अखबार की खबर के मुताबिक, पूर्ति ग्रीन टेक्नॉलजीज (पीजीटी) प्राइवेट लिमिटेड नितिन गडकरी द्वारा स्थापित पूर्ति समूह की कई कंपनियों में से एक है. यह कंपनी 2011 में रजिस्टर्ड हुई थी. 2011 तक गडकरी पूर्ति समूह के चेयरमैन थे. पीजीटी उन 7 कंपनियों में से एक है, जिसे काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने बैटरी से चलने वाले रिक्शा बनाने और बेचने का लाइसेंस 2012 में दिया था.
पीजीटी के डायरेक्टर गडकरी के ब्रदर-इन-लॉ राजेश तोतडे हैं. राजेश ने अखबार को बताया कि कंपनी को ई-रिक्शा में मोटर पावर को लेकर दी जाने वाली छूट के लागू होने का इंतजार है, ताकि वह इसका प्रॉडक्शन और मार्केटिंग शुरू कर सके.
गौरतलब है कि गडकरी ने 17 जून को ऐलान किया था कि 650 वॉट से कम बैटरी वाले ई-रिक्शा मोटर वीइकल्स ऐक्ट से बाहर रहेंगे और ट्रैफिक पुलिस इसका चालान नहीं कर पाएगी. गडकरी ने यह वादा भी किया था कि मोटर वीइकल्स ऐक्ट 1988 में बदलाव किया जाएगा, क्योंकि अभी इस ऐक्ट के तहत 250 वॉट मोटर क्षमता और अधिकतम 25 किमी प्रति घंटा रफ्तार वाली गाड़ियों को ही गैर-मोटर कैटिगरी का समझा जाता है.
अखबार ने इस बारे में ई-मेल करके गडकरी से पूछा कि क्या उनकी घोषणा हितों के टकराव का मामला नहीं है? इसके जवाब में गडकरी ने कहा है कि इन ई-रिक्शों को कई कंपनियां बना रही हैं और किसी एक कंपनी का एकाधिकार नहीं है और न ही किसी पर कोई रोक लगाई गई है. उन्होंने कहा कि जहां तक ई-रिक्शा खरीदने के लिए 3 प्रतिशत दर पर लोन देने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने की बात है, मैं इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर जरूरी कदम उठाने का आग्रह कर चुका हूं.
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