और कितनी नर बली का इंतजार कर रहा है प्रशासन ?

सड़क पर काल, बड़ी दुर्घटना का कर रहा इंतजार
कलेक्टर का आदेश हवा में,31 मार्च तक पत्थर हटाने का आदेश
जिला प्रशासन सहित संबंधित वि ाग बना धृतराष्ट्र
a1a2a3– डाॅ. हंसा वैष्णव- दमोह / नगर के सबसे व्यस्त मार्ग में इस समय काल के रूप में पत्थर की किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार करते देखे जा सकते है। हालाकि पिछले कई वर्षाे से रखे हुए पत्थरों के कारण कुछ लोग काल की गाल में समा चुके हैं तो वहीं दूसरी ओर अनगिनत लोग घायल ी हो चुके है। मजेदार बात तो यह है कि इसी मार्ग से होकर आमजनों के साथ-साथ व्ही-व्हीआईपी लोगों का बड़ी संख्या में आना जाना लगा रहता है। ज्ञात हो कि पत्थर बाजार के रूप में विख्यात स्थल के समीप ही जिले का सबसे बड़ा पुलिस थाना सिटी कोतवाली, हरिजन थाना एवं छात्र-छात्राओं को कानून की शिक्षा देने वाला विधि महाविद्यालय ी स्थित है। सड़कों के दोनों किनारों के बड़े ाग को अपने में समेट अतिक्रमण कर व्यवसाय कर रहे पत्थर व्यापारियों ने कब्जा कर रखा है। जहां क्रय-विक्रय से संबंधित छोटे-बड़े वाहनों का ी जमावड़ा सड़क पर देखा जा सकता है। जबकि ऐसे समय जब आने जाने वाले अन्य वाहनों का क्रम बना रहता है तो स्थिति और ी गड़बड़ा जाती है। कहने का मतलब मार्ग बहुत देर तक अवरूद्ध ी हो जाता है। सवाल यह उठता है कि जिस मार्ग से होकर प्रतिदिन विशेष लोगों सहित बड़ी संख्या में आमजनों का आना जाना हो साथ ही हजारों छात्र-छात्राएं आते जाते हों वहां जिला  प्रशासन सहित संबंधित वि ाग की ॰ष्टि क्यों नहीं पड़ती। इससे तो ऐसा महसूस होता है कि वह निश्चित रूप से किसी बड़ी दुर्घटना के धमाके आवाज से ही निद्रा से जागने का इंतजार कर रहा है।
क्या और नर बली का इंतजार-
शहर के बीचों-बीच मुख्य सडक मार्ग पर स्थित पत्थर बाजार के मामले में जिला प्रशासन सहित संबधित विभाग की खाामोशी शायद और नर बलि का इंतजार कर रहा है ? ज्ञात हो कि गत माह ही एक समीप में ही रहने वाले गरीब हरिजन युवक की मौत यहीं एक मालवाहक ट्रक की चपेट में आ जाने से हो गयी थी। जबकि कुछ बर्ष पूर्व एक स्कूली छात्रा भी असमय काल के गाल में समा गयी थी।  प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग आधा दर्जन के करीब लोग पत्थर बाजार की भेंट चढ चुके है। अब इस समय जो चर्चा बनी हुई है वह है कि और कितनी नर बली का इंतजार जिला प्रशासन एवं संबधित विभाग को है ?
कलेक्टर का आदेश हवा में ? –
पत्थर बाजार को हटाने के मामले में कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह का आदेश हवा में उडता दिखलायी देने की लगातार चर्चा इस समय बनी हुई है ? ज्ञात हो कि इसी बर्ष के प्रारंभ में कलेक्टर श्री सिंह ने पत्थर बाजार को 31 मार्च 2014 तक हटाने के स्पष्ट एवं सख्त आदेश दिये थे जिसको जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी भी किया गया था एवं अनेक समाचार पत्रों में प्रकाशन भी हुआ था। परन्तु पांच माह व्यतीत होने के बाद भी स्थिति यथावत बनी हुई है आपको बतला दें कि इसी अवधि में एक युवक काल के गाल में समा चुका है।
कब्रस्तिान पर भी कब्जा-
पत्थर विक्रेताओं द्वारा मानवीयता की सारें हदों को लांघते हुये अपना व्यापार करने में लगे हुये हैं ?ज्ञात हो कि मुख्य सडक मार्ग के साथ ही इनके कब्जे में एक यहीं स्थित कब्रिस्तान भी बना हुआ है। कई दशकों प्राचीन कब्रिस्तान की संगमरमर की कबरों को भी छतिग्रस्त कर उन पर पत्थरों को रख अपना व्यापार इनके द्वारा किया जा रहा है। जानकारों की माने तो यह मानवता को कलंकित करने वाला सबसे बडा उदाहरण कहा जा सकता है। इसमें जहां एक ओर पुरातत्व एवं जिला प्रशासन सहित संबधित विभाग की लापरवाही स्पष्ट रूप से झलकती दिखलायी देती है तो व्यापारियों द्वारा मानवता को कलंकित करने का मामला दिखलायी देता है।
पत्थरों के साथ अनेतिक व्यापार भी-
पत्थर बाजार में विक्रेताओं में से अनैतिक कृत्य करने एवं करवाने का व्यापार करने वालों की संख्या भी कुछ कम नहीं है ? पत्थरों को एक कमरे के रूप रख वहां जुआ एवं वेश्यावृत्ती जैसे कृत्यों के होने की भी जमकर चर्चा बनी हुई है?
पुलिस थाना एवं ग्रन्थालय पर कब्जा-
एैसा नहीं है कि इन पत्थर विक्रेताओं का कब्जा सडक के साथ कब्रिस्तान पर बना हुआ है जी नहीं इनका व्यापार समीप ही स्थित हरिजन कल्याण थाने तथा स्व चन्द्रकांत सोनवलकर शासकीय ग्रन्थालय के प्रभारियों की कृपा से उनके ही परिसर में भी जमकर फल फूल रहा है।
नपा की कार्यप्रणाली की चर्चा-
उक्त पत्थर बाजार को हटाने के मामले में जितनी जबाबदारी जिला प्रशासन की बतलायी जाती है तो उतनी ही नगरपालिका की जिसमें उसकी उदासीनता के परिणाम के चलते आज कलेक्टर श्री सिंह के आदेश की धज्जियां उडने की बात कानून के जानकार बतलाते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कलेक्टर ंद्वारा बंद हो चुकी चमडा फेक्टिरी परिसर में शिप्ट करने के लिये 31 मार्च की अंतिम तारीख तय की थी परन्तु नपा को न तो आदेश की परवाह और न ही मानवों की जिन्दगी की चिंता दिखलायी दे रही है?

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