सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए इसे अंतरिम जमानत तो नहीं कहा है लेकिन बंगलौर की सेन्ट्रल जेल में 20 दिनों से बंद जयललिता सहित अन्य तीनों आरोपियों को ”फिलहाल” बाहर निकलने और घर जाने का रास्ता दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज जयललिता की जमानत पर सुनवाई करते हुए उन्हें जमानत दे दी। लेकिन अगर आप सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गयी जमानत का विश्लेषण करने चलेंगे तो यह जमानत के साथ आपको फिलहाल शब्द जोड़कर रखना पड़ेगा। वह इसलिए कि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के साथ जो शर्तें लगाई हैं वह जयललिता के लिए कठिन साबित हो सकती हैं।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता को बीते सितंबर महीने की 27 तारीख को कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार देते हुए चार साल की सजा सुनाई थी। जयललिता पर अदालत ने सौ करोड़ रूपये का जुर्माना भी लगाया था और उनके अन्य तीन साथियोंं को भी दोषी करार देते हुए अलग अलग सजा और जमानत मुकर्रर किया था। करीब अठारह साल चली अदालती कार्रवाई में जज डिकून्हा द्वारा सुनाये गये ऐतिहासिक फैसले के बाद अब जमानत के लिए जयललिता के पास हाईकोर्ट जाने का रास्ता बचा था। जयललिता की तरफ से तत्काल वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कर्नाटक हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी के साथ साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 389 का इस्तेमाल करते हुए पूरे मामले को ही खत्म करने की अर्जी लगाई गयी थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने अर्जी तो स्वीकार कर ली लेकिन जमानत देने से इंकार कर दिया।
इसके बाद स्वाभाविक तौर पर जयललिता के वकीलों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बचता था। जयललिता के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल कर दी जिसपर सुनवाई करते हुए आज अदालत ने जयललिता सहित सभी चार आरोपियों को जमानत तो दे दी लेकिन इसकी शर्तें ऐसी रखी हैं कि यह जमानत जयललिता के लिए अंतरिम जमानत भी साबित हो सकती है। जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता के वकीलों को यह भी कहा है कि उन्हें अपने केस से संबंधित पेपरबुक (केस से संबंधित सभी कागजात) दो महीने के भीतर हाईकोर्ट को सौंपने होंंगे। पेपरबुक सौंपने में एक दिन की भी देरी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी। जयललिता के वकीलों को इस निर्देश के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देशित किया है कि तीन महीने के भीतर वह जयललिता के केस की सुनवाई पूरी करे। जयललिता को दिये गये दो महीने बीत जाने के बाद अब इस मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट आगामी 18 दिसंबर को फिर से सुनवाई करेगा।
इस लिहाज से जयललिता को यह फिलहाल की जमानत महज तीन महीनों के लिए ही है जब तक कि हाईकोर्ट में इस मामले अपना मत प्रकट नहीं कर देता। आमतौर पर ऐसे मामलों में हाईकोर्ट में लंबे समय तक केस पेंडिग पड़े रहते हैं और सजायाफ्ता या आरोपी जमानत लेकर अपना काम काज करता है। संबंधित कागजात हाईकोर्ट तक पहुंचने में देरी करने करने के लिए वकील डेट पर डेट लेते रहते हैं। लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता के वकीलों को साफ निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट के सामने किसी भी प्रकार की कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी। इन तीन महीनों के दौरान भी जयललिता सार्वजनिक जीवन का हिस्सा नहीं रहेंगी और अपने घर में रहकर आराम ही करेंगी।
लेकिन जयललिता को फिलहाल जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ तकनीकि पहलुओं का ही ध्यान नहीं रखा है बल्कि व्याहरिक पहलुओं पर भी गौर फरमाया है। जयललिता को जिस दिन से सजा सुनाई गयी है तमिलनाडु में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं का ‘हुदहुद’ छाया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट भी इस बात को महसूस करता है कि रूलिंग पार्टी के कार्यकर्ता अगर इस तरह से अव्यवस्था फैलाएंगे तो राज्य में हालात सामान्य नहीं हो सकते इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता को जमानत देते हुए साफ कहा है कि वे अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश प्रसारित करें कि वे राज्य में शांति व्यवस्था बनाये रखें। यह भी सुप्रीम कोर्ट की उन्हीं शर्तों का हिस्सा है जिसके आधार पर उसने जयललिता की जमानत को ‘फिलहाल’ की केटेगरी में रखा है।