काले धन वालों के नाम उजागर नहीं कर सकते-जेटली

arun jetaliविदेशी बैंकों में ब्लैक मनी जमा करने वाले खाताधारकों के नाम सार्वजनिक न करने की मजबूरी वाले सुप्रीम कोर्ट में दिए सरकार के हलफनामे पर मचे बवाल के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसका दोष कांग्रेस के सिर मढ़ दिया। जेटली ने शुक्रवार शाम को कहा कि कांग्रेस ने 1995 में जर्मनी के साथ समझौता किया था, जिसके कारण सरकार इन नामों को सार्वजनिक नहीं कर सकती है। जेटली ने कहा कि हमें नाम बताने में समस्या नहीं है, लेकिन इसमें कानूनी अड़चन है।
जेटली ने कहा कि दोहरे कराधान निषेध समझौते (डीटीएटी) समझौते के मुताबिक जब तक मामले की जांच चल रही है, तब तक नाम को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। कोर्ट में चार्ज फाइल करते ही, ये नाम अपने आप ही सार्वजनिक हो जाएंगे। जेटली ने कहा कि डीटीएटी की कानूनी बाध्यताओं को सरकार मानने को मजबूर है।
जेटली ने ब्लैक मनी पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए बताया कि पिछले दिनों वित्त मंत्रालय का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल रेवन्यू सेक्रेटरी की अगुआई में बर्न गया था। स्विस अधिकारियों से हुई बातचीत में काफी सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड उन खाताधारकों की बैंक डीटेल्स देने के लिए राजी हो गया है, जिनकी जांच इनकम टैक्स अधिकारियों ने की है।
जेटली ने कहा कि स्विट्जरलैंड सबूत देने के बाद खातों की पूरी डीटेल्स दे देगा। जेटली ने कहा कि स्विट्जरलैंड सूत्रों से मिली किसी सबूत की तस्दीक करने के लिए भी राजी हो गया है। पहले कोई दस्तावेज आता था और जिस व्यक्ति का नाम होता था, वह इनकार कर देता था। हम इसे स्विटजरलैंड से कंफर्म नहीं करा पाते थे।
जेटली ने कहा कि यह प्रक्रिया सालों तक न चले इसकी समयसीमा तय करने को लेकर भी स्विटजरलैंड से बातचीत हो रही है। उन्होंने कहा कि चौथा बड़ा फैसला यह हुआ कि भारत और स्विट्जरलैंड के बीच में अकाउंट की डीटेल्स साझा करने को लेकर दो पक्षीय समझौते पर भी चर्चा चल रही है।

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