विश्व विख्यात हटयोगी मोहन सिंह धीरज ब्रम्हलीन

hath yogiछतरपुर। परमपूज्य उडऩयोगीराज नाम से विश्व विख्यात पंचवटी आश्रम के गुरू श्री श्री 1008 हटयोगी मोहन सिंह धीरज आज प्रात: ब्रम्हलीन हो गए है। जैसे ही इनके ब्रम्हलीन होने की खबर शिष्यों को मिली तो सभी में शोक की लहर दौड़ गयी।
शिष्य लखन राजपूत ने जानकारी देते हुए बताया कि योग तथा ध्यान सभी क्रियाओं में पारंगत तथा छतरपुर का नाम विश्व में रोशन करने वाले बहुचर्चित छतरपुर महोबा रोड स्थित गुरूद्वारा के पीछे निवास करने वाले मोहन सिंह धीरज जिन्हें लाखों लोग योग साधक की संज्ञा देते है। देश की आजादी के पूर्व तथा गुलामी के कार्यकाल में देश के प्रांत पंजाब में जिला जलंदर के छोटे से गांव माला में एक कृषक परिवार में 17 दिसम्बर 1925 को जन्में मोहन सिंह धीरज ने 5वीं तक शिक्षा प्राप्त की। अपरिहार्य कारणों के चलते योगी साधक करीब 68पूर्व छतरपुर आए और छतरपुर ही नहीं देश तथा विदेशों मेें योग क्रियाओं को लेकर जाने-पहचाने जाते रहे हैं। करीब 89वर्षीय योग साधक अपने बाल्यकाल से ही भागवत भक्ति लेकर पैदा हुए। यह बचपन से ही जंगल से भागकर जंगल चले जाया करते थे जहां ये ध्यानमग्र होकर साधना किया करते थे। आपने योग क्षेत्र में आकर सभी क्रियाएं सीखी तथा लाखों की संख्या में शिष्यगण योग के बाहर के जरिए लोगों को निरोगी तथा सुख, समृद्धि प्रदान करने के लिए कार्य करते रहे। 43वर्ष पहले पूर्वा प्रधानमंत्री स्र्व. श्रीमती इंदिरा गांधी के गुरू धीरेंद्र ब्रम्हचारी आपके पास योग की विशेष क्रियाएं सीखने के लिए छतरपुर आए थे। उडऩयोगी के नाम से विख्यात मोहन सिंह योग कार्यक्रमों में प्रसारण विभिन्न टीवी चैनलों के माध्यम से होता रहा। योग की कठिन से कठिन क्रियाएं जिन्हें देश के बहुत कम योग साधक जानते है। उन क्रियाओंं को मोहन स्वयं खूब करते थे और अपने शिष्यों को सिखाते थे। योग की कठिन क्रियाओं में खेंचरी मुद्रा, बस्ती, बजरोली तथा नौली क्रियाएं बताते हुए इन क्रियाओं के साथ योगाशन तथा प्रणायाम के जरिए सभी रोगों को दूर किया जा सकता है। स्वभाव से सरल, मिलनसारव ईमानदार योगी साधक रात्रि के समय बहुत कम सोते थे तथा ध्यान व योग क्रियाओं सहित प्रणायाम में लगे रहते थे। योगी साधक होने के साथ-साथ कर्मयोगी भी रहे जिसमें उन्होंने छतरपुर व खजुराहो में स्थित विभिन्न भवनों में फर्नीचर की विशिष्ट कलाकारी का काम किया जो आज भी देखने को मिला जो देखने में एकदम नये प्रतीत होते है। समाजसेवा के क्षेत्र में आप बढ़-चढक़र हिस्सा लेते रहे हैं। गुरूपर्णिमा के दिन नारायणपुरा रोड स्थित पंचवटी आश्रम में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। आपने ने अब तक लंदन, ब्राजील, कनाडा सहित विश्व के अनेक देशों का भ्रमण कर योग क्रियाओं का ज्ञान दिया है। आपके गुरू रघुवर दास जी एवं बब्बा गुरू विश्व प्रसिद्ध देवराहा बाले बाबा थे। आपने अपने गुरू रघुवरदास जी जुरगुणु किशनगढ़ छतरपुर के जंगलों में रहते थे जहां जाकर आपने योग की क्रियाएं सीखी। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानीजेल सिंह जैसे लोग आपके शिष्य थे तथा आज भी आपके शिष्ट हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में जज है एवं अनेक प्रशासनिक पदों पर पदस्थ है। महान समाजसेवी योग साधक मोहन सिंह विश्व कल्याण का कार्य करते रहे। योगी राज की 5 संताने है जिनमें तीन पुत्रियों, दो पुत्र है। बड़ा पुत्र रमेश सिंह धीरज लंदन में एयरफोर्स सिक्योरिटी का आफीसर है तथा छोटा पुत्र परमजीत सिंह छतरपुर बस स्टैण्ड में जनरल स्टोर की दुकान संचालित करते है।
छतरपुर में आपके प्रिय शिष्यों में फूलचंद्र जैन, वीरेंद्र रिछारिया, लखन कुशवाहा, उपेंद्र श्रीवास्तव, हीरा भुर्जी, गिरीश दुबे, सुदर्शन दुबे, इंजीनियक अशोक गुप्ता, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष बोटू जैन प्रमुख है।
Santosh Gangele

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