वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का 186वां जन्मदिवस मनाया

jhansibaiआगरा। 19 नवंबर 2014 दिन बुधवार को अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के तत्वावधान में देह्तोरा ग्राम स्थित अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी कार्यालय पर वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का 186वां जन्मदिवस मनाया गया। जिसमे उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये गये।
वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के 186वें जन्मदिवस पर अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के सम्पादक मानसिंह राजपूत ने कहा कि झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भारत की प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली वीरांगना थी। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने परतंत्र की बेडियो में जकडे रहने से अच्छा रणभूमि में आजादी की मौत मरना स्वीकार किया। उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ हथियार उठाकर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए युद्ध किया। देश की आजादी के लिए प्राण देने वाली वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान सदैव याद रहेगा। उनके त्याग व बलिदान से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस अवसर पर अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के उपसंपादक ब्रहमानंद राजपूत ने कहा कि वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी। इसलिए आज उन्हें वीरांगना के नाम से जाना जाता है। वे सम्पूर्ण देश की गौरव हैं इसलिए हमें उनको इसी तरह याद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि झाँसी की रानी ने अपने राज्य तथा देश की रक्षा के लिए तलवार उठाई थी। उनके जीते जी कोई भी दुश्मन उनके राज्य की सीमा में प्रवेश नहीं कर पाया। हमें भी उन्हीं के आदर्शों पर चलकर देश तथा समाज की रक्षा करनी चाहिए। उन्होने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई ने कम उम्र में ही साबित कर दिया कि वह न सिर्फ बेहतरीन सेनापति थीं बल्कि कुशल प्रशासक भी थीं। उन्होंने राजा के मरने के बाद एक अच्छे प्रशासक की तरह झाँसी की बागडोर संभाली थी। वह महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने की भी पक्षधर थीं। उन्होंने अपनी सेना में महिलाओं की भर्ती भी की। जो की आज की महिलाओं के लिए अनुकरणीय है।
इसके साथ ही ब्रज लेजर के डायरेक्टर पवन राजपूत ने कहा कि आज कुछ लोग जो खुद को महिला सशक्तिकरण का अगुआ बताते हैं वह भी स्त्रियों को सेना आदि में भेजने के खिलाफ हैं पर इन सब के लिए रानी लक्ष्मीबाई एक उदाहरण हैं कि अगर महिलाएं चाहें तो कोई भी मुकाम हासिल कर सकती हैं। वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया था। एक महिला होने के बाद भी उन्होंने संघर्ष के मामले में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया। जिस देश में वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसी महिला ने जन्म लिया हो तो उस देश कि महिलायें कैसे पीछे रह सकती हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अरब सिंह बॉस ने की और संचालन ब्रहमानन्द राजपूत ने किया हरिप्रसाद राजपूत, प्रभावसिंह, दुष्यंत राजपूत, मोरध्वज लोधी, दीपक लोधी, विष्णु लोधी, लोकेन्द्र लोधी, नीतेश राजपूत, राकेश राजपूत, अजय राजपूत, मुकेश, दिनेश, भूरीसिंह, जीतेन्द्र लोधी, राजवीर सिंह, सहित प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे और महिलाओं की भी भागीदारी रही।

Prabhanjan Sanket

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