कृष्ण के जप से दषरथ को प्राप्त हुआ राम के पिता बनने का गौरव

vidisha samachar 02विदिषा। स्थानीय भगतसिंह कॉलोनी स्थित कटारे गार्डन में आज सात-दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान-यज्ञ जारी है। कथा में भागवताचार्य पं. मुन्नालाल शास्त्री ने सभी अवतारों में भगवान श्री कृष्ण की परम विषिष्ट महत्ता पर प्रकाष डालते हुए कहा कि मनु महाराज ने भगवान श्री कृष्ण को समर्पित द्वादष अक्षरी महामंत्र ‘‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’’ का जप किया, तब उन्हें महाराजा दषरथ के रूप में जन्म लेने का सुअवसर मिलने के साथ भगवान श्री कृष्ण के ही समतुल्य अन्य अवतार भगवान श्रीराम के पिता होने का गौरव भी प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि यही वह परम दिव्य महामंत्र है, जिसके जप से ना केवल यह लोक, अपितु परलोक भी सुधरता-संवरता है। पं. शास्त्री ने कहा कि जीवन में सारे कष्ट, मन के कारण ही आते हैं, लेकिन जब तन से भगवान की भक्ति होने लगती है, तब मन भी तन के वषीभूत होकर भक्ति में डूब जाता है और फिर मन के कारण कोई कष्ट नहीं होता, बल्कि मन भी वरदान बन जाता है। यहां तक कि उसी मन के कारण भगवान भी मिल जाते हैं, परम दुर्लभ मोक्ष्य भी प्राप्त हो जाता है। कथा में उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम अत्यन्त सीधे, सरल, सहृदय, परम उदार तथा परम कल्याणकारी हैं। भगवान श्री कृष्ण उन जैसे नहीं हैं। इसीलिए उन्हें बांका भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि श्री रामजी और श्री कृष्णजी के चरण-षरण होने के लिए श्री रामायण-श्री रामचरित मानस, श्रीमद् भागवत महापुराण-श्रीमद् भगवत गीता की शरण में निष्काम भाव से जाना अनिवार्य है। वैसे भी भगवान तो भाव के ही भूखें होते हैं।

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