उर्दू और हिन्दी को भी हज कमेटी की कार्यवाही में बराबर का मुक़ाम देने की पहल करें

चैयरमेन आल इंडिया हज कमेटी
भारत सरकार
आली जनाब ,

चौधरी मुनव्वर सलीम
चौधरी मुनव्वर सलीम

मैंने आपके चैयरमेन रहते हुए पिछले २ साल में जितनी भी सेन्ट्रल हज कमेटी की मीटिंग अटेंड की है तकरीबन हर मीटिंग में पुरज़ोर अंदाज़ में इस बात का मतालबा किया है कि आल इंडिया हज कमेटी का राब्ता-ए-मसौदा उर्दू और हिन्दी ज़बान में भी होना चाहिए लेकिन शायद आप मेरे मशवरे को तनक़ीद समझकर नज़र अंदाज़ करते रहे हैं ! मैं इस बात को एक बार फिर आप तक पहुंचाना चाहता हूँ कि ज़बानी समझ की तकलीफ इंफरादी मामला नहीं हैं बल्कि यह इज्तिमाई और मिल्ली मामला है !
हज डॉक्यूमेंट का सिर्फ अंग्रेज़ी ज़बान में शाया किया जाना एक खास तबके को खुश करने का ज़रिया तो हो सकता है लेकिन ज़्यादातर हुज्जाज़-ए-इकराम और खुद हज कमेटी के बहुत सारे साथियों के लिए तकलीफदेह साबित हो रहा है ! मैं आपसे एक बार फिर कहना चाहता हूँ कि हज कमेटी का राब्ता-ए-मसौदा अगर उर्दू और हिन्दी ज़बान में शाया नहीं होगा तो फिर ऐसा कौनसा शौबा होगा जो अवामी ज़बान में लोगों से राबता क़ायम करेगा !
हज का फ़रीज़ा उन कमज़ोर मुसलमानों के मज़हब से जुड़ा हुआ है जिनके लिए ज.सच्चर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि मुसलमानों की तालीमी हालत मुल्क में कमज़ोरतर है अगर सच्चर साहब की इस रिपोर्ट पर मुल्क की हज कमेटी के चैयरमेन होते हुए आपको भी कोई अहसास नहीं हैं तो यह मेरे लिए एक बदकिस्मती की बात है कि मैं एक ऐसे चैयरमेन की क़यादत में हज कमेटी के लिए काम कर रहा हूँ जिनके दिल में मिल्लत की तालीमी कमी कि सच्चाई नहीं हैं !
मैं सोचता हूँ कि बहुत कम लोगों के समझ में आने वाली आपकी बहुत महबूब अंग्रेज़ी ज़बान के साथ आप उर्दू और हिन्दी को भी हज कमेटी की कार्यवाही में बराबर का मुक़ाम देने की पहल करेंगे और मेरे मशवरे को तनक़ीद नहीं समझते हुए सिर्फ मशवरा और मिल्ली दर्द समझ कर फैसला फरमाएंगे !

चौधरी मुनव्वर सलीम

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