शिक्षक बच्चों में नैतिकता, संस्कार और भारतीय संस्कृति की प्रेरणा जगाएं

गायत्री शक्ति पीठ द्वारा पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य उत्कृष्ट सेवा शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित
awअजमेर। शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा है कि शिक्षक विद्यालयों में परीक्षाएं उत्तीर्ण कराने के लिए ही नहीं पढाएं बल्कि बच्चों में नैतिकता, संस्कार और भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत जीवन मूल्यों की प्रेरणा भी प्रदान करें। उन्होंने कहा कि महापुरूषों की जीवनी के पाठ्यक्रम बच्चों को पढाएं तो बच्चों में वैसी भावनाओं का भी षिक्षक संचार करे। उन्होंने षिक्षकों का आह्वान किया कि वे बच्चों में भारतीय संस्कृति की प्रेरणा जगाने का कार्य करें।
श्री देवनानी आज यहां गायत्री शक्ति पीठ द्वारा आयोजित पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य उत्कृष्ट सेवा षिक्षक सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैकाले की षिक्षा को गाली देने की बजाय हमें उसका विकल्प देना चाहिए। उन्होंने विद्यालयो में सूर्य नमस्कार व योग की षिक्षा को बच्चों के स्वास्थ्य और संस्कारों के लिए आवष्यक बताया तथा कहा कि सूर्य सभी का है। राजनीतिक विचारधारा से कोई इसे जोड़ता है तो यह केवल विरोध के लिए विरोध करना ही होगा।

गायत्री मंत्र है मानव जाति के उत्थान का बीज मंत्र
गायत्री मंत्र को जीवन के विकास का बीज मंत्र बताते हुए षिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि यह किसी जाति, धर्म और सम्प्रदाय के लिए नहीं है बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति के उत्थान के लिए है। पंडित श्री रामषर्मा आचार्य के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि धन को नहीं विचार को पूंजी बताने वाला उनका व्यक्तित्व सभी के लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने उनके द्वारा प्रारंभ ‘अखंड ज्योति’ पत्रिका को संस्कार प्रदान करने वाली आवष्यक पत्रिका बताया। उन्होंने कहा कि विचारों की शक्ति से ही समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है। इसीलिए जरूरी यह भी है कि कैसे बच्चे भारत के भविष्य को गढें, कैसे वे संस्कारित हों, इस पर विद्यालयों में विचार हो।

शिक्षक समाज में परिवर्तन लाने का कार्य करे
शिक्षकों के सम्मान पर उन्हें बधाई देते हुए श्री देवनानी ने कहा कि सम्मान से दायित्व बढ़ जाता है। षिक्षक जो कुछ पढ़ाएं उसमें खुद रमें, इसी से विद्यार्थी अच्छे से सीख पाएगा। षिक्षक समाज में परिवर्तन लाने का कार्य करे। अपने अंदर मौजूद शक्ति को जाग्रत करते भारत को आगे ले जाए।

संस्कृति के जीवन मूल्यों का किया उल्लेख
भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जो दूसरो का कमाया खाता है वह विकृति है, जो अपनी कमाई खाता है, वह प्रकृति है और जो अपनी कमाई से दूसरों को खिलाता है वह भारतीय संस्कृति है। हमें इसी संस्कृति को आगे बढाना है। उन्होंने भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा को जीवन मूल्यों के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए गायत्री परिवार द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की।
इस मौके पर विधायक श्री सुरेन्द्र पारीक ने गायत्री परिवार द्वारा षिक्षक सम्मान की परम्परा को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उसी का जीवन सार्थक है जो दूसरों के लिए कुछ करता है। उन्होंने सांस्कृतिक मूल्यों के लिए सभी को आगे आकर अपनी ओर से योगदान दिए जाने का आह्वान किया। गायत्री परिवार के श्री अम्बिका प्रसाद श्रीवास्तव और श्री ताराचंद शर्मा ने बताया कि गायत्री शक्तिपीठ का यह आयोजन सर्वांगीण विकास का जन आंदोलन है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 तक 3.5 करोड़ विद्यार्थियों ने संस्कृति ज्ञान की परीक्षा दी है। समारोह में परीक्षा आयोजन में प्रथम रहने वाले जिले रासमन्द, द्वितीय स्थान पर रहे बांसवाड़ तथा तीसरे स्थान पर रहे भीलवाड़ा जिले का विषेष रूप से सम्मान किया गया।
इससे पहले षिक्षा मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी और विधायक श्री सुरेन्द्र पारीक ने राज्यभर से आए उत्कृष्ट सेवा षिक्षकों का सम्मान किया।

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