मानव पहले इंसान बनें, फिर धर्म अनुयायी

muni vaibhavrtnउज्जैन। आज के युग में हर तरफ, हर कोई धर्म के नाम पर गुटबाजी में बंटता
जा रहा है, पर कोई भी मानवता के धर्म को नहीं निभा पा रहा है। क्या किसी
भी धर्म में हमें ये सिखाया जाता है कि आप हिंसा करो, लोगों को कष्ट दो,
दु:ख पहुंचाओ, किसी के आंसू ना पोछो, किसी गरीब की मदद ना करो, नारी को
पैरो तले रोंध डालो, अपने माता-पिता को बेघर कर वृद्धाश्रम में फेंक आओ।
नहीं, वरन हमें सदैव एक ही बात सिखाई जाती है, प्यार करो और प्यार बांटो
प्यार बढ़ेगा। लेकिन आज हम धर्म के ठेकेदारों की गुटबाजी में पड़ हमारे
मानवता के धर्म को भूल गए। भगवान महावीर स्वामी ने खुद अनंतकाल तक वेदना
सहनकर भी किसी दोषी पर भी क्रोध हिंसा नहीं किया और हम उन्हीं की अनुयायी
होकर आज क्या कर रहे हैं। उक्त विचार
मुम्बई सात रास्ता जैन संघ में विराजमान राष्ट्रसंत आचार्य श्रीमद् विजय
जयंतसेनसूरी जी महाराज के शिष्यरत मुनि वैभवरत्नविजय जी म.सा. ने जैन
मीडिया सोशल वेलफेयर सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार
विनायक ए लुनिया एवं संगठन महासचिव ललित हीरालाल मेहता से विशेष तौर पर
‘आज के युग में धर्म और मानवता कहा जा रहा है’ पर गंभीर चर्चा करते हुए
कही। मुनिश्री ने कहा कि अगर आज भी मानव नहीं सम्भला तो आने वाले समय में
इससे भी गंभीर चेहरा सामने आएगा। जिस पर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री
लुनिया ने मुनिश्री की बातों को समर्थन देते हुए कहा कि संगठन का भी
राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक क्षेत्र में यही प्रयास है कि हम प्रभु महावीर
के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाते हुए मानव को पहले मानवता के धर्म को
निभाने का सन्देश दें। जिस हेतु आपके आशीर्वाद की जरूरत है, जिस पर
मुनिश्री ने अपने आशीर्वाद सदैव बने होने की बात कही।

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