जैन धर्म का आचरण सर्वोत्कृष्ट है: डां. भारिल्ल

WhatsApp-Image-20160531स्वर्ण जयंती महोत्सव में हिन्दी साहित्य की महान कृति वैराग्य पर विधावारिधि डां. हुकुमचंद भारिल्ल ने प्रवचन करते हुए कहा कि जैन धर्म का आचरण ही सर्वेात्कृष्ट है। उन्होंने कहा कि श्रावक गणों में मंदिर निर्माण कराए उनके भीतर शुरू ज्ञान मंदिर बनवाए। जिन मंदिर में भक्ति का प्रवाह उमड़ेगा और ज्ञान मंदिर में ज्ञान की वर्षा होगी। भगवान नेमिनाथ की आयु हजार वर्ष थी। उनके 99 गणधर थे ,राजमति आर्यिका गणनी प्रमुख थी। पं. भारिल्ल की वैराग्य कृति में 760 छंद है। यह कृति 18 वर्ष में प्रारंभ कर 10 सर्ग लिखे तथा शेष सर्ग 81 वर्ष की अवस्था से लिखी गए । प्रारंभ में अकोला से चंदावहन व कुं. प्रज्ञा जैन ने समधुर वाचन किया। शिविर समिति द्वारा विद्वानों का सम्मान किया गया।
श्रीजी शोभा यात्रा,दीक्षांत समारोह व समापन समारोह 1 जून को
दिनांक 1 जून प्रात: श्री जी अभिषेक पूजन पश्चात श्री जी शोभा यात्रा मेघदूत टाकीज कागदीपुरा ,कार्तिक चौक होती हुई बड़ा जैन मंदिर पहुचेगी व भगवान जी को बड़ा जैन मंदिर में यथावत स्थापित किया जाएगा। फिर मुख्य पंडाल में दीक्षांत समारोह व समापन समारोह आयोजित किया जाएगा। दीक्षांत समारोह में अध्यक्षता महेन्द्र चौधरी, मुख्य अतिथि श्री सुनील जैन भोपाल व अशोक जैन आरोन, पुरूस्कार वितरण खुशालचंद सर्राफ बीना करेंगे। समापन समारोह की अध्यक्षता श्री वीरेन्द्र जी बीना, मुख्य अतिथि श्री संजय जी , बीना व विशिष्टिï अतिथि श्री धन्नालाल अरू ण कुमार जी भोपाल करेगें।

व्यसनों से वचना चाहिए: बाल ब्र.सुमित प्रकाश जी
शिविर के प्रेरणास्त्रोत बा.ब्र.सुमित प्रकाश जी ने कहा कि व्यसनों से बचने के दो तरीके है, एक है कम पुरषार्थी , असमर्थ व्यक्ति के लिए वह है बुरे निमित्तों ,कु संग से दूर रहे। लड़कियों को टेलिबिजन , मोबाईल , लड़कों से मित्रता से बचना चाहिए। ताकि वे भटक ना जावे। दृढ़ व्यक्तिव वाले पुरूषार्थी व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति अचल होते है। उन्हें कुसंगति भी प्रभावित नहीं कर पाती। जिस आत्मा को अनंत अतीन्द्रिय सुख चाहिए। व्यसना नियंत्रित तो हो सकते है, मिट नहीं सकते है। वस्तु स्वरूप की स्वतंत्रता समझने से ही व्यसन हमेशा के लिए मिट सकते है। विश्व की कोई ताकत मुझे बुरा नहीं बना सकती। कुसंगति को दोष देकर समाधान नहीं मिल सकता, दृढ़ पुरूषार्थी बने, व्यसन परास्त हो जावेगे। प्रवक्ता डां. एमएल जैन ने बताया कि आज शाम प्रशिक्षार्थी सम्मेलन की अध्यक्षता श्री महीपाल जैन , बासबाड़ा, मुख्य अतिथि पं. सिद्वार्थ जोशी मुम्बई, वि. अतिथि श्री संतोष जैन जी वैध खनिया धाना ने की। इस कार्यक्रम के मुख्या वक्ता पं. डंा. हुकुमचंद जी भारिल्ल द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण संबंधी जानकारियों से अवगत कराया ,व देश भर के सभी प्रशिक्षणार्थियों द्वारा तत्व प्रचार स्वाध्याय आदि से जैन धर्म की प्रभावना करना चाहिए।
प्रवक्ता
डां. एम.एल.जैन,
लोहा बाजार , विदिशा

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