सरस्वती षिषु/विद्या मंदिर, टीलाखेडी में वार्षिक उत्सव सम्पन्न

vidisha samacharस्थानीय सरस्वती षिषु/विद्या मंदिर, केषवनगर, टीलाखेडी में नगर के तीनों विद्यालयों के वार्षिकोत्सव दिनॉक 22 दिसंबर 2016 को आयोजित हुआ है । इसमें तीनों विद्यालय के लगभग 300 भैया/बहिनों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियॉ प्रस्तुत दी । इसमें मान0 कलेक्टर विदिषा श्री अनिल जी सुचारी, मान0 अध्यक्ष नगरपालिका विदिषा श्री मुकेषजी टंडन, मान0 सचिव सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान म0 प्र0 भोपाल श्री षिरोमणी जी दुबे, मान0 पुलिस अधीक्षक श्री धमेन्द्रजी चौधरी, मान0 विद्याभारती विभाग समन्वयक भोपाल विभाग श्री अवधेष जी त्यागी, राजगढ़ विभाग के विभाग समन्वयक श्री चंद्रहंस जी पाठक, षिक्षा विभाग के डी0ओ0 श्री एच0एन0 नेमा, समिति सदस्य श्रीमती पिंकेषतला रघुवंषी, डॉ0 जे0एस0 चौहान उपस्थित रहें। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की वंदना एवं दीप प्रज्जवलन से हुआ। अतिथि परिचय केषवनगर विद्यालय के प्राचार्य श्री योगेन्द्र जी कुलश्रेष्ठ जी के द्वारा किया गया। विद्यालय प्रतिवेदन का वाचन श्रीरामकृष्णदास षिक्षण समिति के व्यवस्थापक श्री महेन्द्र जी द्वारा किया गया। जिसमें विद्यालय का प्रारंभिक इतिहास बौद्धिक, विज्ञान व खेलकूद में अपनी सहभागिता एवं षिक्षा के क्षेत्र में प्राप्त तीनो विद्यालय के बोर्ड परिणाम बतायें। संस्कृति भारती द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यषालाओं का आयोजन विद्यालय द्वारा संचालित संस्कार केन्द्रोें के बारे में जानकारी प्रदान की तथा अंदर किला विद्यालय द्वारा 10 में 100प्रतिषत परीक्षा परिणाम रहा। विद्या भारती द्वारा संचालित एकल विद्यालय को अनुदान 319000 भेजे गये। बहिनों को डॉ0 द्वारा स्वास्थय परीक्षण कर स्वास्थय लाभ बताये गये।
श्री गणेष उत्सव का आयोजन संपन्न हुआ, जो सभी मुख्य मार्गो से निकाली गई। जिसका विभन्न संगठनों द्वारा आरती व पुष्प द्वारा स्वागत किया गया।
कार्यक्रम के मुख्यवक्ता श्री षिरोमणी जी ने कहा कि विष्व की प्राचीनतम संस्कृति व जीवन पर्यप्त का इतिहास भारत में है। हजारो वर्षो का इतिहास है कि विभिन्न इमारते के पष्चात् भी हमने परिवर्तन के साथ विकास किया। तथा देष के विकास में सहयोग दिया। रोम कहाँ युनान कहाँ ईरान कहाँ है, हमारे जैसा भारत देष नही होगा कहाँ हम सब विद्या भारती के कार्यकर्ता है। एक विद्यालय से प्रारंभ होकर आज देषभर में 27000 विद्यालय चल रहे है। इसके अलावा कष्मीर के अलगाववादी एवं छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावी क्षेत्रों में भी विद्याभारती के विद्यालय संचालित है। हम पर आरोप लगे है कि हम बम बनाते है। बल्कि हम तो बम-बम बोलने वाले बनाते है। हमारे विद्यालयों में मातृ भाषा में षिक्षण कराया जाता है। हम देष में संस्कारों की षिक्षा के माध्यम से समाज के निर्माण में लगे है। और जिनको ये देष डरावना लगता है उन्हें हम हाथ तो लगना तो दूर चिमटे से भी नही छुते है। हम साहुकार के आसरे पर पलने वाले संस्थान नही है। न ही हम षिक्षा के व्यापारी है। हम राष्ट्र के निर्माणकर्ता है। षिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता का विकास करते है। पिछले दिनों भोपाल में अंग्रेजी ग्रामर प्रतियोगिता में भोपाल स्थित हमारी मातृभाषा में अध्ययन कराने वाली शारदा विहार संस्था ने मेण्डल जीतकर बताया कि मातृभाषा में अध्ययन कराने वाली संस्था किसी भी स्तर पर कम नहीं है। अच्छे चरित्र वाला व्यक्ति ही अच्छा डॉक्टर, आई0ए0एस0, आई0पी0एस0 बनता है। कार तो हम खरीद सकते है। पर कार में बैठकर जाना कहाँ है, ये षिषु मंदिर के संस्कार हमें सिखाते है। देष के लिये मरना पडे़ तो रोना नही, क्योंिक हम माँ की रक्षा के लिये मर रहें है इसके लिये हमें गर्व करना चाहिये।
मुख्य अतिथि कलेक्टर महोदय श्री सुचारी जी ने अपने उद्बोधन का प्रारंभ सभी मंचासीन अतिथियों के अभिनंदन एवं आभार से किया, उन्होने बताया कि हमारे भोपाल स्थित घर के सामने संचालित षिषु मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि कोई भी व्यक्ति उसका परिचय देके आरंभ से हमारे घर तक पहुँच सकता है। उन्होने बताया कि कैसे हम कम संसाधनों में अधिक कुषतला से भैया/बहिनों का विकास कर सकते है। इन्होने कहा कि कभी हार नही मानना चाहिए क्योंिक मन के हारे हार है मन के जीते जीत इसलिये हमें हमेषा प्रयासरत् रहना चाहिये। तथा उन्होने अपना उद्बोधन ‘‘जय हिन्द जय भारत’’ के साथ विराम किया।
विषेष अतिथि पुलिस अधीक्षक महोदय श्री धमेन्द्र जी चौधरी ने अपने उद्बोधन का प्रारंभ सभी मंचासीन अतिथियों के अभिनंदन एवं आभार से किया, उन्होने बताया कि ‘‘चरित्र और राष्ट्र निर्माण की षिक्षा षिषु मंदिरों में दी जाती है। परन्तु सभी अभिभावक और बच्चे एक से नही होते है। अभिभावकों को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिये। माँयें तो बच्चों पर ध्यान देती है परन्तु पिता समय के अभाव में नही दे पाते है। परिणाम यह होता है कि अक्सर परीक्षा के समय बच्चा परेषान हो जाता है। सालभर पढ़ाई भूलने लगता है इसलिये बच्चों को समझना और उनका साथ देना चाहिये। तभी बच्चे अपने माता-पिता, देष का नाम रोषन करेगें ।
कार्यक्रम अध्यक्ष एवं नगरपालिका अध्यक्ष श्री मुकेषजी टंडन ने अपने उद्बोधन का प्रारंभ सभी मंचासीन अतिथियों के अभिनंदन एवं आभार से किया, उन्होने बताया कि षिषु मंदिर हमारे बच्चो को संस्कार प्रदान करते है, इसलिये मैने भी अपने तीनों बच्चों को षिषु मंदिर में ही पढाया है । क्योंकि यहां का अध्ययन संस्कार की गारंटी है । उन्होने स्वच्छता पर जोर दिया और सभी को इस पर ध्यान देने और अपने आसपास के परिसर को स्वच्छ रखने की अपील की । उन्होने बताया की मुख्य मंत्री महोदय ने भी षिक्षा के सभी केन्द्र यहां विकसित किये जाऐंगें । मेडिकल एवं इंजिनिरिग कॉलेज खोले जाऐगंे । नगर पालिका द्वारा भी निषुल्क कोचिंग की व्यवस्था बरईपुरा के शासकिय स्कूल की गई है ।
कार्यक्रम का आभार संस्था प्राचार्य श्री योगेन्द्र जी कुलश्रेष्ठ द्वारा सभी अतिथियों, अभिभावकों भैया/बहिनों एवं टेंट व ध्वनि की व्यवस्था करने वाले सभी लोगो का आभार व्यक्त किया है ।
कार्यक्रम में निम्नानुसार प्रस्तुति दी गई –
//रंगारंग कार्यक्रम की क्रमागत//

क्रं0 कार्यक्रम विद्यालय समय अवधि
01. वंदना अंदरकिला 5ः09 मिनिट
02. स्वागत अंदरकिला 5ः24 मिनिट
03. षिषु कक्षा अंदरकिला 5ः54 मिनिट
04. मारवाडी नृत्य केषवनगर 4ः16 मिनिट
05. वतन के लिये इस जहां में तलैया 4ः09 मिनिट
06. कान्हा नृत्य तलैया 3ः57 मिनिट
07. नाटक तलैया 5ः59 मिनिट
08. राजस्थानी केषवनगर 4ः04 मिनिट
09. त्रिदेवी सरस्वती तलैया 4ः23 मिनिट
10. षिव तांडव केषवनगर 5ः31 मिनिट
11. देष नही मिटने दुंगा अन्दरकिला 8ः18 मिनिट
12. सारे जंहा से अच्छा तलैया 6ः39 मिनिट
13. राजस्थानी नृत्य तलैया 4ः16 मिनिट

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