पद्मश्री से नवाज़े जा चुके ओम पुरी का निधन

om-puri-1हिन्दुस्तान के सबसे प्रतिभावान तथा सम्मानित अभिनेताओं में से एक ओम पुरी का 66 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाज़े जा चुके ओम पुरी का निधन शुक्रवार सुबह मुंबई स्थित उनके आवास में हुआ.

साधारण शक्ल-सूरत वाले असाधारण अभिनेता ने न सिर्फ बहुत-सी पुरस्कार-विजेता हिन्दी फिल्मों को अपने अभिनय से सजाया, बल्कि अनेक विदेशी फिल्मों में भी अपने काम का लोहा मनवाया. वर्ष 1976 में विजय तेंदुलकर के नाटक ‘घासीराम कोतवाल’ पर इसी नाम से बनी मराठी फिल्म से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले ओम पुरी ’80 के दशक में ‘अर्द्धसत्य’, ‘आक्रोश’, ‘पार’ जैसी कला फिल्मों में काम करने के बाद दुनिया की नज़रों में आए. फिर अपने जीवंत अभिनय से धीरे-धीरे वह मुख्यधारा की फिल्मों में भी छाने लगे, और उन्होंने ‘जाने भी दो यारों’ और ‘माचिस’ जैसी फिल्मों भी अदाकारी के जौहर दिखाए. हरियाणा के अंबाला में एक रेलवे अधिकारी के घर वर्ष 1950 में जन्मे ओम पुरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट में भी अध्ययन किया, और वह दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के वर्ष 1973 बैच के सदस्य भी थे, जहां नसीरुद्दीन शाह उनके सहपाठी थे.

उस समय जारी कला फिल्मों के दौर में सबसे मजबूत अभिनेता कहे जाने वाले नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी और स्मिता पाटिल जैसे धुरंधर अभिनेताओं के साथ उन्होंने कई फिल्में कीं, जिनमें उन्हें भुलाया नहीं जा सकता. भवई (1980), सद्गति (1981), अर्द्धसत्य (1982), मिर्च मसाला (1986) तथा धारावी (1992) इन अभिनेताओं की कुछ यादगार फिल्में हैं.

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