भारत -तिब्बत पुलिस की फाईल अटकी,प्रहलाद ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

दमोह में लगने वाला प्रथम केंन्द्र का उपक्रम में बन रही बाधा ?

bडा.एल.एन.वैष्णव
दमोह/इसे क्षेत्र का दुर्भाग्य कहें या फिर लापरवाही कि केन्द्र और राज्य में एक ही राजनैतिक दल की सरकार होने के बाबजूद भी एक अति महत्वपूर्ण फाईल को जहां स्वीकृति देने में कुछ दिन लगे तो वहीं प्रदेश सरकार में यह लगभग 9 माह से अटकी पडी है। जिसको लेकर दमोह संसदीय क्षेत्र के सांसद प्रहलाद पटेल ने प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र के माध्यम से वास्तविकता से अवगत कराया है। ज्ञात हो कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र की स्वीकृति की फाईल महिनों तक राजस्व विभाग में अटकने के बाद चली तो लेकिन वह पुनःराजस्व विभाग में पहुंच कर अटक गयी है। कानून के जानकारों की माने तो उक्त फाईल को अभी कई पडाव से गुजरना है और अगर इसमें देरी हुई तो फिर ………..?
विदित हो कि जिले को एक बडी सौगात के रूप में भारत -तिब्बत सीमा पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र की स्वीकृति दिलाने में क्षेत्रीय सांसद प्रहलाद सिंह पटेल ने काफी प्रयास किये थे। जिले के लिये यह प्रथम अवसर था जब सीधे केन्द्र सरकार से जुडे किसी इतने बडे उपक्रम को मंजूरी मिली हो। उक्त मामले को स्वीकृति देने में जहां भारत सरकार ने में क्षण भर की देरी नहीं की वहीं प्रदेश में एक ही मंत्रालय में सात माह से फाईल का अटकना अनेक प्रश्नों को जन्म देता है। गति अवरोध बना या फिर बनाया जा रहा है इसको लेकर भी आम जनमानस में कहीं तरह-तरह की चर्चायें व्याप्त हैं?बतला दें कि गत 2015 में उक्त ट्रेनिंग सेंटर हेतु क्षेत्रीय सांसद प्रहलाद सिंह पटेल के विशेष प्रयास से केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत हो चुका था। बतलादें कि जिले में यह प्रथम अवसर होगा जब केन्द्र सरकार के सीधे हस्तक्षेप वाला कोई प्रशिक्षण केन्द्र या फिर विभाग की योजना को केन्द्र बिन्दु बनेगा।
सांसद का कडा रूख अटकी फाईल पर नाराजगी और आशंका –
उक्त प्रकरण की फाईल को प्रदेश के राजस्व विभाग में महिनों तक अटकना फिर बढना और फिर वहीं अटकना विभिन्न प्रकार के प्रश्रों को उपजाता है? क्षेत्रीय सांसद प्रहलाद सिंह पटेल ने उक्त मामले को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुये प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह को पत्र लिखा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 मार्च 2016 को 1616.97 एकड सरकारी भूमि के अधिग्रहण हेतु 16.55.34.750 रूपये की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दे गयी थी। वहीं मध्यप्रदेश शासन की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव कलेक्ट्रर दमोह द्वारा आयुक्त सागर संभाग के माध्यम से राजस्व विभाग की स्वीकृति हेतु 26 मई 2016 को भेज दिया गया था।
क्षेत्र के लिये चिंतित जन प्रतिनिधि-
उक्त मामले को लेकर क्षेत्रीय सांसद प्रहलाद पटेल खासे चिंतित एवं प्रयासरत हैं। मणीपुर राज्य में चुनाव चल रहे हैं उनको भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश का प्रभारी बनाया हुआ है। एैसे समय में भी सैकडों मील उक्त जबाबदारी को निभाते हुये वह क्षेत्र के लिये भी खासे चिंतित दिखते हैं। आईटीबीटी की फाईल के पुनःअटकने पर नाराजगी व्यक्त करते हुये उन्होने प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान को अवगत कराते हुये पत्र लिखा है। श्री पटेल ने पत्र में वास्तविकता को रखते हुये कहा है कि समय पर स्वीकृति नहीं मिलने पर भारत सरकार द्वारा स्वीकृत राशि वापिस हो सकती है।
एैसे मिलती है स्वीकृति-
जानकारों की माने तो केन्द्र सरकार के द्वारा स्वीकृत किसी उपक्रम को लगाने के मामले को लेकर मंजूरी के बाद स्थल निरीक्षण तथा जिला प्रशासन द्वारा उक्त प्रकरण को पूरा तैयार कर प्रदेश सरकार के संबधित मंत्रालय को नियम के तहत भेजा जाता है। राजस्व मंत्रालय/विभाग उसको स्वीकृति के बाद वित्त मंत्रालय/विभाग भेजता है जिसकी स्वीकृति के बाद वित्त मंत्रालय/विभाग पुनःराजस्व विभाग/मंत्रालय को भेज देता है। इसके बाद सामान्य प्रशासन मंत्रालय/विभाग के पास पहुंचता है जहां प्रकरण की लगभग 35 संक्षिकायें(प्रेसी) तैयार कर सभी मंत्रियों एवं संबधित अधिकारियों के पास भेजता है। अध्यन करने के उपरान्त उक्त प्रस्ताव समान्य प्रशासन मंत्रालय/विभाग केबिनेट के पास भेजता है। केबीनेट उसको स्वीकृत करने के उपरांत भारत सरकार को भेजती है। तब कहीं जाकर कार्यवाही पूर्ण होती है।
1616.97 एकड में होगा सेंटर-
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सपोर्ट वैपन ट्रेनिंग सेंटर के लिये जिले के ही मौजा फतेहपुर के पटवारी हलका नं.09 एवं मौजा देवदरा एवं रामनगर के पटवारी हलका नं.16 की 1616.97 एकड भूमि को प्रदान किया गया है। सूत्र बतलाते हैं कि अगर प्रदेश सरकार ने तत्परता दिखाई तो कुछ ही माह में यहां उक्त ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो जायेगा। तथा तय निर्धारित समय में यहां देश की रक्षा में लगे रहने वाले सूरवीरों को प्रशिक्षण देने का कार्य भी शुरू हो जायेगा।
जिले का दोहन-
कौन नहीं जानता कि जिले का दोहन कितनी बार हुआ है अगर यह कहा जाये कि हर बार हुआ तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। सूत्रों की माने या फिर यहां के बुर्जगों की तो देश की अजादी के बाद मिलेट्री छावनी जो सागर के मकरोनिया में है यहीं स्थापित होने जा रही थी। रेडियो स्टेशन जो छतरपुर में है वह यहां स्थापित होना था। बीना-कटनी खंड में सर्वाधिक जगह एवं सुविधाओं के होने के बाद भी रेल्वे का लोको यहां से हटा दिया गया। हाल ही में विश्वविद्यालय की स्थापना के मामले में क्या हुआ किसी से छिपा नहीं है। कृषि विश्व विद्यालय के मामले में क्या हुआ सर्व विदित है। जैसे अनेक उदाहरण आपको मिल जायेंगे जब जिले की जनता की पीठ में छुरा घोंपने का कार्य किया गया।

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