मुख्यमंत्री चौहान की अध्यक्षता में दिए गए लोक कल्याणकारी निर्णय

facebook_1499173734949भोपाल – गत दिवस मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने किसानों, महिलाओं, विद्यार्थियों, कारीगरों और समाज के अन्य वार्गों के साथ-साथ शासकीय सेवकों के कल्याण के लिए भी निरंतर कदम उठाए है। इसी श्रृंखला में मध्यप्रदेश के साढे छह लाख से अधिक अधिकारियों,कर्मचारियों के पक्ष में नए वेतनमान को लागू करने की पहल की गई। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान में बजट भाषण में इसका उल्लेख किया था। बढ़ा हुआ वेतन एक जुलाई से प्रारंभ होगा जो अगस्त माह से मिलेगा। इस संबंध में मंत्रिपरिषद ने निर्णय लिया है कि राज्य के शासकीय सेवकों को एक जनवरी 2016 की स्थिति में पुनरीक्षित वेतनमान में वेतन निर्धारण किया जाएगा। पुनरीक्षित वेतनमान में वेतन धारण करने पर शासकीय सेवकों की परिलब्धियों में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि होगी। एक जनवरी 2016 से वेतन पुनरीक्षिण के परिणामस्वरूप एक जनवरी 2017 की अवधि के बकाया स्वत्वों का समान तीन वार्षिक किश्तों में (हर साल मई माह में) वर्ष 2018-19 से किया जाएगा। एक जनवरी 2016 से 30 जून के बीच की अवधि के दौरान सेवा निवृत्त और दिवंगत शासकीस सेवकों के एक एरियर्स की राशि एक मुश्त देने की व्यवस्था की जाएगी। सातवें वेतनमान में वेतन निर्धारण के परिणामस्वरूप एक जुलाई 2016 से 2 प्रतिशत और एक जनवरी 2017 से 2 प्रतिशत, इस तरह कुल 4 प्रतिशत की दर से मंहगाई भत्ता देय होगा। पेंशन संराशिकरण, अवकाश नगदीकरण, परिवार पेंशन के वर्तमान प्रावधानों को यथावत रखा जाएगा। दिनांक 01.01.2016 और इसके बाद सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों को मृत्यु सह सेवानिवृत्ति की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपए रखी जाएगी। वेतन निर्धारण किए जाने पर अनुमानित 3 हजार 828 करोड़ का वार्षिक व्यय होगा। वर्ष 2017-18 में सातवें वेतनमान से 2 हजार 552 करोड़ का अतिरिक्त व्यय भार आएगा। वेतन पुनरीक्षित के भुगतान पर करीब 5 हजार 742 करोड़ व्यय होगा।
• मंत्रि-परिषद् ने लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत कार्यालय भवन विश्रामगृह निर्माण, कर्मचारियों की आवासगृह, सड़क निर्माण, वृहद पुलों के निर्माण, जिला मार्गों के उन्नयन और अंतर्राज्यीय सड़‍‍क निर्माण से संबंधित नीतिगत आदेश प्राप्त करने के लिए निर्णय लिया। इसके अनुसार वर्ष 2017-18 और अगले दो वित्त वर्ष के लिए राशि निर्धारित कर मापदण्डों का अनुमोदन किया गया। इस निर्णय से शासकीस सेवकों सहित आमजन के हित में नई सुविधाओं के विकास के लिए योजनाबद्ध तथा शीघ्र क्रियान्वयन हो सकेगा।
• मंत्रि-परिषद् ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान योजना के क्रियान्वयन के लिए 835 करोड़ रुपए की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की। आगामी तीन वर्ष में संभावित प्रावधान 2047.47 करोड़ रुपए के क्रियान्वयन की अनुमति भी दी गई। इसी तरह प्रदेश में शिक्षा के लोकव्यापीकरण की योजना सर्व शिक्षा अभियान की सफलता को देखते हुए इसकी निरंतरता को भी मंजूरी दी गई। योजना के वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के संचालन तथा निरंतरता की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई। प्रदेश में वर्ष 1996-97 में जहाँ शालात्यागी बच्चों की संख्या 29.19 लाख थी वहीं 2015-16 में यह संख्या महज 60 हजार है। प्राथामिक स्तर पर शाला त्याग दर 37.2 से 4.9 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह माध्यमिक स्तर पर शाला त्याग दर 35.2 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2016-17 में घटकर 6.7 प्रतिशत हो गई है। आरटीई के तहत अशासकीय विद्यालयों को टयूशन फीस की प्रतिपूर्ति की योजना के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। निर्णय के अनुसार वर्ष 2017-18 से 2019-20 के लिए तीन वर्ष गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में वंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए फीस प्रतिपूर्ति की राशि 1706.91 करोड़ की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई। स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत एक अन्य निर्णय में आज कक्षा 12वीं पढ़ने वाले ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12वीं परीक्षा में 85 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, जनजाति, विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्द्ध घुमक्कड़ ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने 75 प्रतिशत यह इससे अधिक अंक से परीक्षा उत्तीण की उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप लेपटॉप प्रदान करने के लिए प्रचलित योजना को वर्ष 2017-18 से प्रारंभ कर अगले तीन वर्ष के लिए संचालित करने के लिए सहमति मंत्रि-परिषद से प्रदान की। इस पर अनुमानित 177 करोड़ रुपए की राशि के व्यय की सहमति प्रदान की गई।
• मंत्रि-परिषद ने सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापितों को डूब क्षेत्र 31 जुलाई 2017 के पूर्व खाली करने के लिए सरदार सरोवर पैकेज का अनुसमर्थन किया गया। इसके अनुसार मंत्रि-परिषद ने प्रभावित व्यक्ति को दी जाने वाली राशि 5.50 लाख को बढ़ाकर 15 लाख रुपए करने पर सहमति प्रदान की। प्रदेश में सिंचाई क्षेत्र बढ़े, इसके साथ ही किसी को विस्थापित न होना पड़े और विस्थापित होने की दशा में उस व्यक्ति को पुनर्वास संबंधी सभी सुविधाएं मिलें, इसके लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
• मंत्रि-परिषद् ने बालाघाट जिले की लालबर्रा समूह जल-प्रदाय योजना की बढ़ी हुई लागत 157.63 करोड़ की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की। जल-प्रदाय योजना के माध्यम से 101 गाँवों में ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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