विदिशा – विद्या भारती मध्यभारत प्रांत द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रान्तीय प्रवासी कार्यकर्ता कार्यषाला के समापन अवसर पर मुख्य वक्ता माननीय श्री हितानंद शर्मा (संगठनमंत्री, विद्याभारती) ने अपने उद्बोधन में कहा कि षिक्षा में भारतीय दृष्टि की पुर्नः स्थापना ही हमारे कार्य का आधार है। षिक्षा का महत्वपूर्ण कार्य संस्कार देना, जीवन के प्रति दृष्टि विकसित करना, जीवन व्यवहार में तद्नुरुप परिवर्तन लाना एवं राष्ट्र तथा समाज में युगों से स्वयं सिद्ध जीवन मूल्यों को अगली पीढ़ी में हस्तान्तरित करना है।
कार्यकर्ता को व्यक्ति निष्ठ नहीं ध्येय निष्ठ बनाना, अन्तरदृष्टि से वैयक्तिक विषेषता के आधार पर कार्यकर्ता को पहचानना एवं अपने प्रिय एवं अप्रिय कार्यकर्ता से भेद नहीं करना। कार्यकर्ता के सुख-दुख की पर्याप्त चिन्ता की जानी चाहिए। कार्यकर्ता की रक्षा, सुरक्षा एवं संरक्षा का भार समाज को बहन करने के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए। कार्यकर्ता को यह सोचना चाहिए कि हम ध्येय मार्ग में पहुँचने का कार्य कर रहें है कार्य को गुणवत्ता एवं तत्पर्यनिष्ठ कैसे बनाया जाए इस ओर विचार करना चाहिए।
आज के समय में प्रत्येक व्यक्ति तनाव में है हमें यह सोचना है कि उस कार्यकर्ता का तनाव कैसे दूर हो हस हेतु उसको कौषल विकास, तनाव प्रबंधन, समय प्रबंधन इन को ध्यान में रखकर कार्यकर्ता का विकास करना है। हमें समयानुकूल, देषानुकूल परिस्थति को ध्यान में रखकर अपडेट होना है । हमें देषबोध, समाजबोध, संस्कृतिबोध, दायित्वबोध, अध्यात्मबोध का ध्येय लेकर चलेगें तो इस राष्ट्र के उत्थान में हमारे जीवन की सार्थकता होगी। संगठन तभी मजबूत बनता है जब उसके कार्यकर्ता एक मिषन, विजन को लेकर आगें बढ़े ।
कार्यषाला में विषिष्ठ अतिथि के रुप में श्री रामकुमार भावसार (प्रांत प्रमुख, नगरीय षिक्षा), श्री रुपेष विष्वकर्मा (प्रांत प्रमुख, ग्रामीण षिक्षा) के महानुभाव उपस्थित रहे।
कार्यषाला का संचालन श्री नारायण सिंह चौहान, व्यक्तिगत गीत श्री हुकुमचन्द भुवन्ता एवं आभार श्री अवधेष त्यागी ने किया। इस प्रांतीय दो दिवसीय प्रवासी कार्यकर्ता कार्यषाला का समापन शांतिमंत्र के साथ हुआ।
प्रांत प्रमुख
रामकुमार भावसार