रावण बोला, नेताओं को मत दो मेरा नाम

दशहरे के पर्व पर जब आप रावण की बात करते हैं, तो आपको याद आती है रामानंद सागर की रामायण में रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी की। विजयदशमी के मौके पर दैनिक जागरण से खास बातचीत में अरविंद त्रिवेदी ने कहा कि रावण काफी उसूलों वाला इंसान था, वह घोर तपी और नियमों को मानता था। ऐसे में जब लोग नेताओं की तुलना रावण से करते हैं, तो मुझे बहुत ठेस पहुंचती है।

उन्होंने कहा कि आज भी जब मैं तमाम कार्यक्रमों में जाता हूं, तो पाता हूं कि लोग रावण के चरित्र को कितनी इज्जत देते हैं, इसी से अंदाजा होता है कि लोग रावण को आज भी विद्वान मानता है। नेताओं से रावण की तुलना पर अरविंद थोड़ा गुस्साते हुए कहते हैं कि उनसे मेरी तुलना मत करो। वह कहते हैं कि आज भी दक्षिण में लोग रावण के नाम पर अपना नाम रखते हैं। साथ ही वह कहते हैं कि अगर नेता रावण होते तो भारत सोने का देश होता। रावण ने तो राम के जरिए अपने पूरे कुनबे को मोक्ष दिलाया। अगर रावण आत्मकेंद्रित होता तो खुद हिरण बनकर मोक्ष प्राप्त कर लेता।

हालाकि अरविंद का मजाकिया अंदाज में कहना है कि जब तक वह जीवित है, रावण का कोई रिपलेसमेंट नहीं हो सकता है। पर साथ ही साथ वह युवा लोगों को यह संदेश भी देते हैं कि अहंकार के अलावा रावण से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। हर साल रावण मारना क्यों पड़ता है इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भगवान राम ने रावण को मारकर अमर कर दिया है। यही तो प्रभुलीला है।

अरविंद मानते हैं कि रामराज्य की परिकल्पना मुश्किल है क्योंकि इस समाज से रावण का मारना मुश्किल है। वह साफ कहते हैं कि जिस दिन अहंकार मिट गया, उस दिन रावण का अंत हो जाएगा।

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