प्रणब के खिलाफ याचिका पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायधीशों वाली संविधान पीठ गुरुवार को राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। इस याचिका को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष एवं गत राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार रहे पीए संगमा ने दायर किया है।

पीएस पारेख एंड कंपनी के माध्यम से दिए गए अपने जवाब में राष्ट्रपति ने याचिका में कोलकाता स्थित इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टीट्यूट (आइएसआइ) से अपने इस्तीफे को लेकर उठाए गए कुछ मुद्दों को स्पष्ट किया है और दावा किया है कि लोकसभा के नेता के रूप में उन्हें इसका विशेषाधिकार था।

मुखर्जी ने कहा है कि मेरे निर्वाचन को चुनौती देने के जो आधार हैं उन्हें गलत ढंग से समझा गया है। उन्होंने सात लाख तेरह हजार 763 वोट (कुल पड़े मतों में 70 फीसद से अधिक) पाए हैं और उचित तरीके से राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। संगमा को कुल डाले गए साढ़े दस लाख मतों में से केवल तीन लाख पंद्रह हजार 987 मत मिले थे।

संगमा का कहना है कि वह आइएसआइ का अध्यक्ष के पद पर थे जो भारत सरकार के तहत लाभ का पद है और इस तरह से वह राष्ट्रपति चुनाव के अयोग्य हैं। इस पर मुखर्जी का कहना है कि उन्होंने 20 जून को ही इस पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने स्वपन घोष के माध्यम से एक पत्र भेजा था जो उसे लेकर उसी दिन गए थे 21 जून को आइएसआइ के निदेशक शहर में नहीं थे इसलिए उन्हें 23 जून को पत्र दिया जा सका।

मुखर्जी ने कहा है कि आइएसआइ अध्यक्ष पद अवैतनिक है और इस तरह के पद से इस्तीफा एकतरफा कार्य है इसलिए इस्तीफा स्वीकार किए जाने की जरूरत नहीं है। त्याग पत्र दे दिया जाना ही खुद में पर्याप्त है और यह दिए जाने के साथ ही प्रभावी होगा। मुखर्जी का कहना है कि 20 जून को उन्होंने केवल कांग्रेस के नेता लोकसभा से इस्तीफा नहीं दिया था, लेकिन कांग्रेस की कार्यसमिति और उसकी प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दिया था। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति ने 25 जून को मुखर्जी की विदाई समारोह का आयोजन किया था और मीडिया ने उसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

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