पटना, 23 दिसंबर 2017: सिख धर्म के दसवें गुरू श्री गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाश पर्व के शुकराना समारोह के दौरान भारतीय नृत्य कला मंदिर में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया गया, जिसमें प्रथम दर्शक कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार के मंत्री श्री कृष्ण कुमार ऋषि थे। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सिख धर्म के दसवें गुरू श्री गोविंद सिंह जी महराज के जन्म दिवस के मौके पर यह पर्व मनाया जाता है। सिख धर्म में दस गुरू हुए और सबों ने धार्मिक सद्भाव और सामाजिक समरसता का संदेश दिया। वहीं, सिख धर्म के दसवें गुरू गुरू श्री गोविंद सिंह जी महराज ने अपने शौर्य और दिव्य ज्ञान के बल पर नए समाज की स्थापना की और जनजागरण को धर्म का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि पटना की ऐतिहासिक धरती एक बार फिर से आगत अतिथियों के स्वागत के लिए तैयार है। पटना पूरी तरह सज कर तैयार है। राज्य सरकार के अधिकारी से लेकर पटना की आम जनता फिर से शुकराना समारोह को यादगार बनाने के लिए तत्पर हैं। पूरे शहर में अलग – अलग जगहों पर कई कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
इससे पहले उन्होंने कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्जवलित कर किया। इस दौरान विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद, अपर सचिव आनंद कुमार, उपसचिव तारानंद वियोगी, संस्कृतिक निदेशक सत्यप्रकाश मिश्रा, अतुल वर्मा, संजय कुमार, अरविंद महाजन और मीडिया प्रभारी रंजन सिन्हा भी उपस्थित रहे। इसके बाद पहली प्रस्तुति इलाहाबाद (यूपी) के अभय राज ने भोजपुरी लोकगीत ‘भूले नाहीं देस कुर्बानियां’ की दी। इसके अलावा देवभक्ति गीत ‘बम बम भोले’ और भ्रूण हत्या पर ‘कोखिया में रोएबी’ से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान हारमोनियम पर मायाराम यादव, ढोलक पर नागेंद्र मिश्रा, मंजीरा भूरेलाल यादव, छांछ पर पारसनाथ यादव, करताल पर राजेश कुमार यादव और झांझ पर राकेश कुमार व रूपनाथ ने साथ दिया। वहीं, वहीं, गाजीपुर उत्तर प्रदेश के श्री सुनील कुमार ने धोबिया लोकनृत्य से लोगों को मन मोह लिया। यह नृत्य धाबी जाति द्वारा किया जाता है। मुख्य रूप से यह लोकनृत्य शादी-विवाह, जन्मोत्सव, होली, दिवाली, दशहरा एवं मेला आदि में किया जाता है। इस नृत्य में गायन – वादन और विशेष रूप से नृत्य का समावेश होता है। धोबिया लोकनृत्य में गायन संजय कुमार और अभिषेक ने किया, जबकि मृदंग पर उनका साथ प्रताप, कसावर पर मुसाफिर, झांझ पर सबाजीत, रडसींगा पर रंगीलाल व धुरालाल ने दिया। इस गायन पर विजय, बबलू, पवन और जयकिशन ने नृत्य किया, जबकि घोड़ी डांस जग्गा, गणपत, देवानंद ने किया।
जौनपुर यूपी से आये फौजदार सिंह ने आल्हा की प्रस्तुति दी, जो बुंदेलखंड का लोकनृत्य है। यह 52 खंड में है, जिसका नायक आल्हा उदल, पृथ्वी राज चौहान और मलखान आदि प्रमुख है। इसमें फौजदार सिंह के अलावा राम बहाल सिंह, राधेकृष्ण तिवारी, रमायण प्रसाद, सुरेश अंजान, रामचंद्र गुप्ता ने मनमोहक प्रस्तुति दी, जिनका साथ ढोलक पर राम बहाल, मंजीरा पर रामचंद्र प्रसाद, झांझ पर सुरेश, रामचंद्र और राधेकृष्ण ने दिया। तो झारखंड सरायकेला के प्रभात कुमार महतो अपने छऊ नृत्य से दर्शकों के दिल में उतर गए। उन्हें छऊ नृत्य के लिए झारखंड सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। इसके अलावा उन्होंने इस नृत्य को विदेशों में भी कई जगहों पर प्रस्तुत किया है। आज वे इसे भारतीय नृत्य कला मंदिर के प्रांगण में प्रस्तुत कर रहे थे, जिसमें उनका साथ घासी राम महतो, जगदीशचंद्र महतो, सुचान महतो, अजीत कुमार, गुलाब सिंह मुंडा, कृष्णकांत महतो, अर्जुन महतो, लखींद्र गोप ने दिया।
वहीं, दूसरी ओर श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में भी सांस्कृतिक आयोजन का समां आज दूसरे दिन भी बांधा पं उदय मल्लिक और सत्येंद्र कुमार संगीत ने। इन्होंने उप शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी। पंडित उदय कुमार मल्लिक ने नई दिल्ली में नई पीढी को ध्रुपद से जोड़ने के लिए ध्रुपद एकेडमी की नींव भी डाली है, जो यहां खुद परफॉर्म कर रहे हैं। उन्हें संगीत विरासत में मिली। वे दरभंगा के सबसे पुराना घरना के नायबा शख्सियत हैं, जो ध्रुपद गायकी और पखावज वादन के लिए मशहूर है। तो सत्येंद्र कुमार संगीत ने भी अपनी विशेष प्रस्तुति दी, जो सुगम संगीत और लोकगायन के क्षेत्र में देश भर में विशेष स्थान रखते हैं। वे इससे पहले बिहार सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों में भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। इसके अलावा जयपुर घराने की विदुषी अश्विनी धगलकर, जो के विदुषी किशोरी अभोनकर की शिष्या हैं ने भी अपनी प्रस्तुति दी। इनका साथ तबले पर डॉ श्याम मोहन, सांरगी पर संतोष मिश्रा, हारमोनियम पर विनोद पाठक और तानपुरा पर अभिषेक मिश्र ने दिया। जबकि गुंडेचा ब्रदर्स ने भी ध्रुपद गायन से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।